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महिला अपराधों की विवेचना में सुधार हेतु कार्यशाला सम्पन्न

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महिला सुरक्षा शाखा, पुलिस मुख्यालय द्वारा आज नवीन पुलिस मुख्यालय स्थित सभागार में “महिला अपराधों की विवेचना में सुधार हेतु” एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य महिला एवं बाल अपराधों की विवेचना को और अधिक प्रभावी, त्रुटिरहित एवं तकनीकी दृष्टि से सुदृढ़ बनाना था।

इस कार्यशाला में पुलिस, अभियोजन, फोरेंसिक तथा अन्य तकनीकी शाखाओं के वरिष्ठ अधिकारियों और विशेषज्ञों ने यौन उत्पीड़न, POCSO एक्ट, धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2021 तथा बलात्कार के प्रकरणों की विवेचना में आने वाली चुनौतियों एवं उनके समाधान पर व्यापक चर्चा की।

कार्यशाला में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (महिला सुरक्षा) अनिल कुमार द्वारा डिब्रीफिंग एवं प्रमुख निष्कर्षों के बारे में विस्तार से चर्चा की।  उन्होंने कहा कि दोषमुक्ति की दर कम करने और प्रभावी साक्ष्य संकलन हेतु पुलिस, अभियोजन और अन्य सहयोगी इकाइयों के मध्य बेहतर समन्वय और तकनीकी दक्षता आवश्यक है।

सहायक जिला अभियोजन अधिकारी, पुलिस आयुक्त कार्यालय भोपाल मनीषा पटेल ने POCSO एक्ट के प्रमुख प्रावधानों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि पीड़ित की पहचान गोपनीय रखना अनिवार्य है और यदि आवश्यक हो तो इसकी प्रक्रिया का विधिवत पालन किया जाना चाहिए। दोषमुक्ति के प्रमुख कारणों — जैसे राजीनामा, विवेचना में त्रुटियां और अन्य कारणों पर प्रकाश डाला। उन्होंने विशेष प्रकरणों, अपराध दर्ज होने पर महिला अपराधों में पुलिस की अनिवार्य कार्रवाई, DCPU (District Child Protection Unit) की भूमिका, पीड़ित के व्यवहारिक संरक्षण, चिकित्सा परीक्षण और साक्ष्य संकलन की विधियों पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की।

सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी, CID पुलिस मुख्यालय विजय बंसल ने POCSO एक्ट में साक्ष्य संकलन के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों एवं प्रक्रियाओं की विस्तार से जानकारी दी।

उप पुलिस महानिरीक्षक (महिला सुरक्षा शाखा) संतोष गौर एवं उप संचालक अभियोजन (महिला सुरक्षा शाखा) श्री के.एल. मुवेल ने धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2021 और बलात्कार के प्रकरणों में दोषमुक्ति की समीक्षा पर चर्चा की।

पुलिस अधीक्षक (एटीएस) वैभव श्रीवास्तव ने यौन उत्पीड़न के प्रकरणों में सायबर अपराध शाखा की भूमिका पर व्याख्यान दिया।

फोरेंसिक एक्सपर्ट, FSL भोपाल डॉ. ए.के. सिंह ने DNA सैंपलिंग, परिरक्षण एवं यौन उत्पीड़न मामलों में फोरेंसिक की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। इस कार्यशाला में प्रदेश पुलिस के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक से उप  निरीक्षक स्तर के 95 अधिकारी सम्मिलित हुए।

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