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जहां-जहां भगवान श्रीकृष्ण के चरण पड़े हैं, वह हमारे लिए वंदनीय

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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि जहां-जहां भगवान श्रीकृष्ण के चरण पड़े हैं, वह हमारे लिए वंदनीय हैं। मुख्यमंत्री निवास में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर्व, हलधर महोत्सव और लीलाधर प्रकटोत्सव समारोह का आयोजन हुआ।

शनिवार को आयोजित समारोह में एक हजार से अधिक बाल-गोपाल राधा-कृष्ण की वेशभूषा में शामिल हुए।

मुख्यमंत्री निवास में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर्व, हलधर महोत्सव और लीलाधर प्रकटोत्सव समारोह का आयोजन हुआ। शनिवार को आयोजित समारोह में एक हजार से अधिक बाल-गोपाल राधा-कृष्ण की वेशभूषा में शामिल हुए। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि जहां-जहां भगवान श्रीकृष्ण के चरण पड़े हैं, वह हमारे लिए वंदनीय हैं। हमारी सरकार श्रीकृष्ण की चिरस्मृतियों से जुड़े सभी स्थानों एवं लीलास्थलों को तीर्थ के रूप में विकसित कर रही है। इसके अंतर्गत उज्जैन के सांदीपनि आश्रम, धार के जानापाव और अमझेरा को तीर्थ बनाया जाएगा। ये सभी स्थान गोकुल जितने ही पवित्र हैं।

कृष्ण साहित्य एवं प्रसादी का वितरण किया गया

मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध करके तत्कालीन समय में प्रजातंत्र की स्थापना की। माखन से गोपाल कृष्ण और बलराम का विशेष लगाव था। गोकुल से यह माखन मथुरा न पहुंच पाए, इसलिए श्रीकृष्ण ने बाल्यकाल में ही अपने साथियों की टीम बनाई और गोकुल ले जाई जा रही माखन की मटकियों को फोड़ना प्रारंभ कर दिया। यह एक प्रकार से तत्कालीन अतिवादी ताकतों के खिलाफ खुले विद्रोह के समान था। योगीराज श्रीकृष्ण ने अपने जीवन में विभिन्न लीलाओं के जरिए समाज के समक्ष जीवन का कर्मवादी ध्येय प्रस्तुत किया। इस्कॉन इंटरनेशनल संस्था की ओर से कार्यक्रम में शामिल हुए धर्मप्रेमी बंधुओं को भगवान श्रीकृष्ण (लड्डू गोपाल) की प्रतिमा, कृष्ण साहित्य एवं प्रसादी का वितरण किया गया।

श्रीकृष्ण ने सदैव धर्म की रक्षा के लिए खड़े रहे

मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने कौरव- पांडवों के बीच हुए भीषण युद्ध महाभारत में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया और सदैव धर्म की रक्षा के लिए पांडवों के साथ खड़े रहे। श्रीकृष्ण ने द्वारकापुरी छोड़ते समय अपने पुत्र को सिंहासन पर नहीं बिठाया। वे अपने सिर पर सदैव मोरमुकुट धारण करते थे। इस प्रकार से योगेश्वर श्रीकृष्ण ने अपनी ग्रामीण सांस्कृतिक विरासत को हमेशा अपने सर माथे से लगाए रखा।

मंदिर आकर्षक साज सज्जा पर होंगे पुरस्कृत

मुख्यमंत्री ने बताया कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व, हलधर महोत्सव एवं लीलाधर प्रकटोत्सव के अंतर्गत संस्कृति विभाग मध्यप्रदेश के 162 स्थानों पर प्रमुख मंदिरों में हुए भक्तिपरक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इसके अलावा प्रदेश के 3 हजार से अधिक श्रीकृष्ण मंदिरों में आकर्षक साज-सज्जा एवं श्रृंगार भी जन्माष्टमी के अवसर पर किया गया है। इनमें स्थानीय सांसद, मंत्री और विधायक, अन्य जनप्रतिनिधि आमजन के साथ पूरे हर्षोल्लास के साथ जन्माष्टमी पर्व मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि मंदिरों में आकर्षक साज-सज्जा एवं श्रृंगार के लिए सरकार द्वारा 1.50 लाख रुपए के तीन पुरस्कार, एक लाख रुपए के पांच पुरस्कार एवं 51 हजार रुपए के सात पुरस्कार, कुल 15 पुरस्कार दिए जाएंगे।

मुख्यमंत्री ने मटकी फोड़ी

मुख्यमंत्री ने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कार्यक्रम में माताओं, बहनों को बाल स्वरूप गोपाल कृष्ण की प्रतिमा, सिंगार, पंजीरी, माखन मिश्री और प्रसादी वितरित किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने ‘हाथी घोड़ा पालकी-जय कन्हैया लाल की, नंद घर आनंद भयो-जय कन्हैया लाल की’ का उद्घोष एवं बालगोपालों का पुष्पवर्षा के बीच मटकी फोड़ी और ‘गोविंदा आला रे’ गाना भी गाया। इस अवसर पर श्रीकृष्ण एवं राधा की आकर्षक वेशभूषा में सुसज्जित एक हजार से अधिक बाल गोपाल इस भव्य जन्माष्टमी महोत्सव में शामिल हुए।

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