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मालेगांव ब्लास्ट केस में 17 साल बाद फैसलाः दोषमुक्त हुए सभी आरोपी, कोर्ट को नहीं मिले ठोस सबूत

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नई दिल्ली। मालेगांव बम ब्लास्ट मामले में 17 साल बाद फैसला आ गया है। मुंबई की विशेष एनआईए अदालत ने गुरुवार को 2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस के सभी सात आरोपियोंको बरी कर दिया। सबूत के अभाव में कोर्ट ने सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया है। जिन लोगों को बरी किया गया है, उनमें भाजपा की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा से लेकर भारतीय सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित और रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, अजय राहिरकर, सुधाकर धर द्विवेदी और समीर कुलकर्णी के नाम शामिल हैं।

कोर्ट के स्पेशल जज लाहोटी ने फैसला सुनाते हुए कहा कि मामले में कुछ आरोप अदालत ने खारिज किए गए हैं, जबकि कुछ को स्वीकार किया गया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जो सबूत अदालत के सामने आए, वह दोष सिद्ध करने के लिए काफी नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि कर्नल पुरोहित द्वारा आरडीएक्स लाने का कोई सबूत नहीं, पुरोहित ने बम बनाया था, इसके भी कोई सबूत नहीं मिले हैं। वहीं धमाके दौरान उपयोग की बाईक भी साध्वी प्रज्ञा के होने के सबूत नहीं मिले हैं। अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि धमाके वाली जगह पर बाइक किसने पार्क की थी, इसका कोई सबूत नहीं है। पत्थरबाजी किसने की, इसका कोई सबूत नहीं, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान किसने पहुंचाया, घटना के बाद पुलिस की बंदूक किसने छीनी, इन सभी आरोपों के कोई सबूत नहीं मिले हैं।

एटीएस-एनआईए की चार्जशीट में मिला अंतर
कोर्ट ने कहा कि एटीएस और एनआईए की चार्जशीट में काफी अंतर है। अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि बम मोटरसाइकिल में था। यह भी साबित नहीं हुआ कि बम किसने लगाया। घटना के बाद विशेषज्ञों ने सबूत इकट्ठा नहीं किए, जिससे सबूतों में गड़बड़ी हुई। कोर्ट ने यह भी कहा कि धमाके के बाद पंचनामा ठीक से नहीं किया गया, घटनास्थल से फिंगरप्रिंट नहीं लिए गए और बाइक का चेसिस नंबर कभी रिकवर नहीं हुआ। साथ ही, वह बाइक साध्वी प्रज्ञा के नाम से थी, यह भी सिद्ध नहीं हो पाया।

19 अप्रैल को फैसला रख लिया गया था सुरक्षित
बता दें कि इस मामले में अभियोजन और बचाव पक्ष की ओर से सुनवाई और अंतिम दलीलें पूरी करने के बाद 19 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रखा गया था। इस मामले में सात लोग, जिनमें लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय शामिल हैं, जिन पर मुकदमा चल रहा है। इन सभी लोगों पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं। सभी आरोपी वर्तमान में जमानत पर रिहा हैं।

ब्लास्ट में गई थी 6 लोगों की जान
29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में रमजान के पवित्र महीने में और नवरात्रि से ठीक पहले एक विस्फोट हुआ। इस धमाके में छह लोगों की जान चली गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए। एक दशक तक चले मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने 323 गवाहों से पूछताछ की, जिनमें से 34 अपने बयान से पलट गए। शुरुआत में, इस मामले की जांच महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने की थी। हालांकि, 2011 में एनआईए को जांच सौंप दी गई।

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