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मप्र के पीटीआर में अनोखा बाघदेव अभियान: मिट्टी के नकली बाघ बनेंगे जंगल के असली बाघों की सुरक्षा ढाल !

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भोपाल। मध्यप्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व और आसपास के वन क्षेत्रों में मिट्टी के बाघ असली बाघों की सुरक्षा ढाल बनेंगे। अभियान का नाम बाघदेव रखा है। इसके पीछे का मकसद बाघों का संरक्षण करने के साथ-साथ, स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार पैदा करना भी है, जो कि मिट्टी के बाघों की कलाकृतियां बनाने व उन्हें पर्यटकों को बेचने के काम से पैदा होगा। अभियान की शुरूआत अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस 22 मई से शुरू किया है, जो 22 जुलाई को विश्व बाघ दिवस तक चलेगा। उक्त प्रयासों की सफलता के बाद अभियान को दूसरे रिजर्वों में भी शुरू किया जाएगा।

बाघों पर आने वाली चुनौतियों को कम करने की पहल
पेंच टाइगर रिजर्व के उप संचालक रजनीश कुमार सिंह ने बताया कि बाघदेव को आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में देवता के रूप में पूजा जाता है और उनसे मन्नतें मांगी जाती हैं। वर्षों से चल आ रही यह परंपरा आज भी प्रचलित है। लोग बाघदेव के प्रति गहरी भावनाएं रखते हैं। जिसे देखते हुए तय किया कि बाघों के जीवन के सामने आ रही चुनौतियों से निपटने के लिए बाघदेव अभियान शुरू किया जाए। इसके लिए रिजर्व के बफर क्षेत्र की सभी 130 ईको विकास समितियों में मिट्टी के बाघों की कलाकृतियां बनाने जा रहे हैं। ईको विकास समितियों के सदस्य एवं ग्राम पंचधार के मिट्टी के बर्तन और खिलौने बनाने वाले विशेषज्ञ कुम्हार भी इसमें मदद कर रहे हैं।

कलाकृतियों को संभालकर रखा जाएगा
वन अधिकारियों का कहना है कि मिट्टी के बाघों को पार्क प्रबंधन द्वारा एकत्रित करेंगे। मिट्टी के खिलौने, आकृतियां, प्रतिमा व बर्तन बहुत टिकाऊ होते हैं लेकिन ऐसा तभी होता है जब इन्हें भट्टी में पकाया जाता है। ऐसे मृर्तियों को खबासा में निमार्णाधीन स्टील स्क्रैप से बन रही बाघ कलाकृति के पास स्थापित कर नए आस्था स्थल में संजोकर रखेंगे।

पहले वर्ष टेराकोटा का उपयोग
पेंच प्रबंधन का प्रयास है कि इस वर्ष टेराकोटा (मिट्टी) की कलाकृति बनाई जाए, अभियान में ईको विकास समितियों के साथ पर्यटक एवं अन्य बफर क्षेत्र के बाहर के रहवासी भी जुड़ सकेंगे।अधिकारियों का कहना है कि बाघदेव से स्थानीय लोग पहले से मनोकामनाएं मांगते आए हैं, कई लोगों का भरोसा है कि ये पूरी भी होती हैं। ऐसे लोग अपने हाथ से बाघों की कृलाकृतियां बनाकर उसमें अपना नाम लिखकर बाघदेव से मनोकामना मांग सकेंगे, इससे बाघ संरक्षण में समुदायों के भावनात्मक जुड़ाव के साथ ही पंचधार के मूर्तिकारों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

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