हरदा पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट के पीड़ित घटना के एक साल बाद भी न्याय की मांग को लेकर दर-दर भटक रहे हैं। मंगलवार को पीड़ित परिवार के लोग 150KM पैदल चलकर भोपाल पहुंचे थे।
पांच दिवसीय पदयात्रा के उपरांत न्याय की आस में भोपाल पहुंचे पीड़ितों के साथ पुलिस ने न सिर्फ मारपीट की बल्कि उन्हें बसों में बैठाकर जबरन वापस भेज दिया।
हरदा से करीब 150 किलोमीटर दूर भोपाल तक पीड़ित परिवारों ने 5 दिन तक पैदल चलकर मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात रखना चाहते थे। लेकिन जब वो होशंगाबाद रोड पर पहुंचे, तो वहां पहले से तैनात पुलिस बल ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया।
पीड़ितों को जबरन बसों में बैठाकर वापस भेजने की कोशिश की गई, तो पीड़ित नाराज हो गए। उन्होंने विरोध करते हुए बस के सामने लेटकर प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज की।
पुलिस ने करीब 30 बुजुर्ग, महिला और बच्चों को बस में बैठाकर वापस भेज दिया। एक पीड़ित देवी सिंह ने बताया कि मुझे, मेरे बच्चे और मेरी पत्नी को बहुत मारा है।
हम लोगों को बहुत गंभीर चोटें आई हैं। हालांकि, पुलिस थाना प्रभारी मनीष राज सिंह भदौरिया ने सभी आरोपों से इन्कार करते हुए कहा कि किसी भी स्थिति में लाठीचार्ज नहीं किया गया।
गौरतलब है कि कि हरदा शहर के नजदीक स्थित पटाखा फैक्ट्री में 6 फरवरी 2024 को ब्लास्ट हुआ था, जिसमें 13 लोगों की मौत हुई थी। पीड़ित परिवारों का आरोप है कि इस घटना में उचित मुआवजा नहीं मिला है। यही बात बताने मुख्यमंत्री के पास जा रहे थे, पर मिसरोद में पुलिस ने रोक लिया और लाठी से पीटा। बलपूर्वक एक बस में बैठाकर हरदा वापस भेज दिया। लाठीचार्ज में बुजुर्ग-बच्चों को चोट भी आई है।