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नई शिक्षा नीति सिर्फ दस्तावेज नहीं, सांस्कृतिक स्वाभिमान का प्रतीक है

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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राजधानी भोपाल में आयोजित नीति संवाद-2025 श्रृंखला के शुभारंभ अवसर पर कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति केवल एक शैक्षणिक सुधार नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक चेतना और आत्मगौरव की पुनर्स्थापना का माध्यम है। कार्यक्रम में उन्होंने न सिर्फ नई शिक्षा नीति के महत्व पर प्रकाश डाला, बल्कि स्वयं के जीवन अनुभव साझा कर शिक्षा के व्यावसायिक और नैतिक मूल्यों पर आधारित होने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति केवल एक शैक्षणिक दस्तावेज नहीं, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक चेतना और आत्मगौरव को पुनर्स्थापित करने का माध्यम है। मुख्यमंत्री राजधानी भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में मध्यप्रदेश राज्य नीति आयोग द्वारा आयोजित नीति संवाद-2025 श्रृंखला के शुभारंभ अवसर पर संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम का विषय- “सशक्त भारत और समृद्ध मध्यप्रदेश के लिए मूल्य आधारित और रोजगारोन्मुखी शिक्षा” था।

मुख्यमंत्री ने अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए कहा कि एक समय वे पढ़ाई करना चाहते थे, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति के चलते उन्हें दुकान पर बैठना पड़ता था। “मैं कहता था कि अगर सुबह से दुकान खोलूंगा तो पढ़ाई कब करूंगा। फिर मुझे सुबह और शाम बैठने की छूट मिल गई। सीएम ने कहा कि पढ़ाई सिर्फ नौकरी के लिए नहीं, व्यक्तित्व निर्माण और कौशल विकास के लिए भी होनी चाहिए। छोटे रोजगार से स्किल डेवलेपमेंट भी हो जाता है। मेडिकल एजुकेशन और हॉस्पिटल पहले अलग-अलग थे। हमने कहा ये अलग-अलग कैसे हो सकते हैं।

डॉ. यादव ने कहा कि औपनिवेशिक सोच से प्रेरित लॉर्ड मैकाले की शिक्षा नीति ने हमारी सांस्कृतिक जड़ों को कमजोर किया था, लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लागू की गई नई शिक्षा नीति देश को आत्मनिर्भर और गौरवशाली बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। मध्यप्रदेश इस नीति को क्रियान्वयन में अग्रणी राज्य बना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि रानी दुर्गावती, पन्ना धाय और झांसी की रानी जैसे ऐतिहासिक नायकों को पाठ्यक्रम में स्थान देना हमारी सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित रखने की दिशा में आवश्यक है। उन्होंने शिक्षा को मूल्य आधारित और व्यावसायिक कौशल से युक्त बनाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता डॉ. इंद्रेश कुमार ने कहा कि जीवन मूल्यों और संस्कारों से ही व्यक्ति और समाज में परिवर्तन आता है। उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि यह टीम राज्य को एक आदर्श मॉडल के रूप में स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा कि हर गांव में संस्कार, हर हाथ में हुनर और हर मन में आत्मबल” के लक्ष्य के साथ सरकार कार्य कर रही है। उन्होंने सीएम राइज़ स्कूलों का नाम ‘संदीपनी विद्यालय’ रखने के निर्णय के लिए मुख्यमंत्री का आभार जताया।

 

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