भोपाल। पीसीसी जीतू पटवारी ने मप्र के मुखिया डॉ. मोहन यादव को एक खत लिखा है। जिसमें उन्होंने कई गंभीर आरोप लगाए हैं। सीएम को लिखे पत्र में जीतू ने जहां कांग्रेस विधायकों को सरकारी फंड देने में भेदभाव का आरोप लगाया है। तो वहीं उन्होंने भाजपा विधायकों के फंड की 40 फीसदी राशि कमीशन में चले जाने का आरोप मढ़ा। पत्र में जीतू ने कोविड के दौरान जान गंवाने वाले परिजनों के बच्चों शिक्षा देने की भी मांग की है।
पटवारी ने अपने पत्र में लिखा- मुझे यह पत्र लिखते हुए अत्यंत खेद और चिंता हो रही है कि आपकी सरकार द्वारा प्रदेश में विकास निधि के आवंटन को लेकर गंभीर भेदभाव किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा विधायकों को 15-15 करोड़ रुपए दिए गए हैं। लेकिन कांग्रेस विधायकों को 15 करोड़ की विकास निधि नहीं दी जा रही है। भाजपा विधायक के क्षेत्र में भी विकास के दिए जा रहे फंड में भ्रष्टाचार हो रहा है। कमीशन देने पर ही काम हो रहे है। सभी विधायकों को, चाहे वे किसी भी दल से हों, समान रूप से 15 करोड़ रुपए की विकास निधि प्रदान की जाए। निधि के आवंटन और व्यय की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए, ताकि भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी पर रोक लगाई जा सके। जिन अधिकारियों और ठेकेदारों पर कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार के आरोप हैं, उनकी निष्पक्ष जांच कर कठोर कार्रवाई की जाए।
तो जनता का लोकतांत्रिक प्रणाली से उठ जाएगा विश्वास
पटवारी ने आगे लिखा, आपने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते समय निष्पक्ष और समान भाव से सभी नागरिकों की सेवा करने का वचन दिया था, लेकिन वर्तमान परिदृश्य यह दर्शाता है कि सरकार पक्षपातपूर्ण संकीर्ण राजनीति कर रही है। कांग्रेस विधायकों के क्षेत्र में जनता भी निवास करती है, जो करदाता हैं और जिन्हें समान रूप से सरकारी योजनाओं और विकास कार्यों का लाभ मिलना चाहिए। यदि एक लोकतांत्रिक सरकार ही अपने दायित्वों का निर्वहन भेदभाव के आधार पर करने लगे, तो इससे जनता का विश्वास प्रणाली से उठ जाएगा।
केवल 30-35% राशि विकास के नाम पर होती है खर्च
पटवारी ने आगे लिखा, इसके बाद भी नौकरशाही और ठेकेदारी के स्तर पर व्यापक भ्रष्टाचार और कमीशन का बोलबाला है, जिससे जनता के विकास के नाम पर स्वीकृत धन का बहुत कम अंश वास्तविक कार्यों में लगता है। यदि मोटे तौर पर अनुमान लगाया जाए तो एक लाख रुपए में से करीब 65 से 70 हजार रुपया भ्रष्टाचार और कमीशन में चला जाता है और केवल 30-35% राशि विकास के नाम पर खर्च होती है। यह बेहद चिंताजनक और निंदनीय स्थिति है, जिससे मध्यप्रदेश की छवि देश के सबसे भ्रष्ट राज्य के रूप में बन रही है।
विधायकों को समान अवसर दिए जाएं
जीतू ने पत्र में लिखा की मध्य प्रदेश की जनता ने अपने विधायकों को उनके क्षेत्र के विकास के लिए चुना है, न कि भेदभाव और भ्रष्टाचार झेलने के लिए। यदि आपकी सरकार वास्तव में “सबका साथ, सबका विकास” की नीति में विश्वास रखती है, तो इस अन्यायपूर्ण नीति को तुरंत समाप्त किया जाए और सभी विधायकों को समान अवसर और अधिकार दिए जाएं। आशा है कि आप मध्य प्रदेश की खराब होती छवि को लेकर गंभीरता से विचार करेंगे और जनहित में अपनी संकीर्ण सोच और मानसिकता से मुक्त होकर मुख्यमंत्री के मूल कर्तव्य का निर्वहन करेंगे।
जीतू ने कोविड को लेकर भी सीएम को लिखा पत्र
पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने कोविड को लेकर भी सीएम को पत्र लिखा है। पीसीसी चीफ ने कहा, सरकार ने वादा किया था कि कोविड में जान गंवाने वाले माता-पिता के बच्चों को सरकार शिक्षा देगी। मां-बाप को खो चुके बच्चों को 5 हजार देने का ऐलान किया गया था। लेकिन कोविड को लेकर बजट में कोई राशि आवंटित नहीं की गई। साथ ही कोविड में काम करते हुए जिन कर्मचारियों की मौत हुई, उनको शहीद का दर्जा मिलेगा वह भी नहीं मिला।
राज्यमंत्री का पलटवार- कांग्रेस का चरित्र भेदभाव करने का
जीतू पटवारी के आरोपों पर राज्यमंत्री कृष्णा गौर ने पलटवार किया है। कृष्णा गौर ने कहा कि कांग्रेस का चरित्र ही भेदभाव करने का रहा है। 15 महीने की सरकार में कांग्रेस ने किस तरह से भाजपा विधायकों के साथ भेदभाव किया, ये किसी से छिपा नहीं है। भाजपा हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर उठकर विकास की राजनीति पर विश्वास करती है। मध्यप्रदेश के विधायकों को मिलने वाली विकास की निधि सबको बराबर मिली है। जीतू पटवारी के जो आरोप है वो पूरी तरह बेबुनियाद हैं।