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पदोन्नति से पहले सुलग रही विरोध की आग, अफसर बेफिक्र, सीएम कर चुके हैं पदोन्नति देने का ऐलान

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भोपाल। पदोन्नति मिलने से पहले कर्मचारी जगत में विरोध की आग सुलगने लगी है। कुछ संगठनों के प्रमुखों ने तो विवाद की स्थिति में कोर्ट तक जाने की चेतावनी दे दी है। उधर पदोन्नति नीति का ड्राफ्ट बनाने वाले कई अफसर बेफिक्र है, ये कर्मचारी जगत से मिलने वाले संकेतों को हल्के में ले रहे हैं। यदि सरकार के इस प्रयास को कर्मचारियों के विश्वास में नहीं बदला गया तो स्थिति उलट भी सकती है।

पदोन्नति नीति को लेकन बनाए ड्राफ्ट की तैयारियों को लेकर कई बातों का ध्यान रखा जा रहा है। एसीएस व पीएस स्तर के अधिकारी इसे तैयार कर रहे हैं। इनके बीच कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं। शुक्रवार को भी उच्च स्तरीय बैठक हुई, जिसमें कई बिंदुओं को अंतिम रूप देने के प्रयास किए गए। सोमवार को भी उक्त विषय में बैठक होनी है।

कर्मचारी संगठनों के आरोप— अधिकारी नहीं कर रहे बात
उधर कई कर्मचारी संगठनों के प्रमुख आरोप लगा रहे हैं कि नीति का ड्राफ्ट तैयार करने वाले कुछ अधिकारी मनमानी कर कर्मचारी जगत का विश्वास नहीं जीत पा रहे हैं। कर्मचारी संगठनों की ओर से पहल किए जाने के बावजूद भी अधिकारियों का फीडबैक नहीं बताया जा रहा है।

सरकार नहीं चाहती किसी भी तरह का विवाद
सरकार किसी भी तरह का विवाद नहीं चाहती। सूत्रों के अनुसार सीएम डॉ. मोहन यादव ने अधिकारियों को साफ कहा है कि नीति कर्मचारियों को स्वीकार्य होनी चाहिए, इसलिए हर स्तर पर चर्चा करें। कर्मचारी वर्गों के जितने भी सुझाव व जिज्ञासाएं हैं, उन्हें दूर करने के प्रयास हो। उल्लेखनीय है कि सीएम डॉ. मोहन यादव ने हाल में कर्मचारियों को पदोन्नति दिए जाने संबंधी घोषणा की थी।

कर्मचारी संगठनों के प्रमुखों की मांग
मंत्रालय सेवा अधिकारी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधीर नायक का कहना है कि यदि 2016 से 2024 की डीपीसी अलग-अलग भूतलक्षी प्रभाव से नहीं की गई और प्रत्येक संवर्ग में वर्टीकल आरक्षण नहीं रखा गया तो फिर प्रत्येक वर्ग के साथ न्याय नहीं हो पाएगा। पूरी कवायद धरी रह जाएगी, इन दो बिंदुओं की उपेक्षा करते हुए कोई पदोन्नति नीति बनाई तो मुख्यमंत्री की सभी वर्गों को न्याय देने की मंशा पूरी नहीं हो पाएंगी और नई नीति को चुनौती देने वाली सैकड़ों याचिकाएं कोर्ट में लगने जैसी स्थिति निर्मित हो सकती है।

अजाक्स की ओर से कह दिया है कि नीति संविधान सम्मत हो। उसमें एसटी, एससी समेत सभी वर्गों के कर्मचारियों का ध्यान रखा जाए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि एक ओर इन वर्गों के संरक्षण की बात की जाए और दूसरी तरफ इसका पालन न हो। ड्राफ्ट में 2002 के पदोन्नति नियम का ध्यान रखा जाए। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता मनोज गोरकेला द्वारा तैयार पदोन्नति नियम के उस ड्राफ्ट को भी ध्यान में लिया जाए जिसे संविधान सम्मत बताया जा चुका है। अजाक्स प्रतिनिधियों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की प्रत्याशा में में सशर्त पदोन्नतियां भी दी जा सकती हैं।

कर्मचारी जगत में पदोन्नति को लेकर हलचल तेज हो गई है। मप्र कर्मचारी मंच के अध्यक्ष अशोक पांडे के नेतृत्व में कर्मचारियों ने पोस्ट कार्ड अभियान शुरू कर दिया है। ये कार्ड मुख्यमंत्री के नाम लिखे जा रहे हैं, जिसमें कर्मचारियों को जल्द पदोन्नति दिए जाने की मांग की जा रही है।

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