केंद्र सरकार ने आज मंगलवार 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में कैविएट (उसे सुने जाने की गुहार) दायर किया है और आग्रह किया है कि वक़्फ (संशोधन) कानून, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कोई आदेश पारित करने से पहले उनको भी सुना जाए।
कैविएट वह प्रक्रिया होती है जिसके तहत कोई पक्ष हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में यह सुनिश्चित करने के लिए आवेदन करता है कि उसके खिलाफ कोई आदेश बिना उसको सुने न पारित किया जाए।
वक्फ संशोधन एक्ट 2025 के खिलाफ करीब दर्जन भर याचिकाएं दायर की गई हैं। इनमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अलावा, केरल की सुन्नी मुस्लिम विद्वानों की संस्था ‘समस्त केरल जमीयतुल उलेमा, कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी समेत अन्य लोगों ने इस कानून को चुनौती दी है।
इस घटनाक्रम से जुड़े अधिवक्ताओं ने मीडिया को बताया कि याचिकाओं को सुनवाई के लिए 15 अप्रैल को किसी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किए जाने की संभावना है, हालांकि यह अब तक सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर लिस्ट नहीं हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की तुरंत सुनवाई पर विचार करने की सहमति दी थी और कहा था कि वह याचिकाकर्ताओं द्वारा भेजे गए ईमेल को देखेंगे और विचार करेंगे।