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कामिल फाजिल की डिग्री देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा

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सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मदरसों में कामिल (स्नातक) और फाजिल (स्नातकोत्तर) की पढ़ाई कर रहे छात्रों की परीक्षा कराए जाने और डिग्री देने की मांग वाली याचिका पर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

सुप्रीम कोर्ट ने ये नोटिस टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया की ओर से दाखिल याचिका पर जारी किया है। टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया की याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार को निर्देश दे कि उत्तर प्रदेश के मान्यता प्राप्त मदरसों में कामिल और फाजिल की पढ़ाई कर रहे छात्रों की परीक्षा कराने और डिग्री देने के लिए वह ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती लैंग्वेज यूनीर्वसिटी लखनऊ को अधिकृत करे।

चीफ जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने की सुनवाई

यह भी मांग की गई है कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती लैंग्वेज यूनीवर्सिटी लखनऊ को निर्देश दिया जाए कि वह यूजीसी एक्ट की धारा 22 के अनुसार कामिल और फाजिल की परीक्षा कराए, नतीजे घोषित करे और डिग्री दे। ये नोटिस प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई, अगस्टिन जार्ज मसीह और एएस चंदुरकर की पीठ ने 30 मई को टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया यूपी की याचिका पर सुनवाई के बाद दिये।

कोर्ट ने याचिका पर नोटिस जारी करने के साथ ही इस याचिका को इसी मसले पर पहले से लंबित याचिका के साथ सुनवाई के लिए संलग्न करने का भी आदेश दिया है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के अंजुम कादरी मामले में पिछले वर्ष दिए गए फैसले का हवाला दिया गया है जिसमें कोर्ट ने यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजूकेशन एक्ट को वैध ठहराया था और कहा था कि यह मदरसा की शिक्षा को नियमित करता है लेकिन उस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मदरसों को कामिल और फाजिल डिग्री देने का अधिकार नहीं है।

50000 छात्रों के भविष्य का सवाल

कोर्ट ने मदरसों की कामिल फाजिल डिग्री को यूजीसी एक्ट का उल्लंघन मानते हुए असंवैधानिक घोषित कर दिया था। याचिकाकर्ता का कहना है कि अंजुम कादरी के फैसले को आधार बना कर मदरसा एजूकेशन बोर्ड के रजिस्ट्रार ने 16 जनवरी 2025 को उत्तर प्रदेश के सभी डिस्ट्रिक माइनेरिटी वेलफेयर ऑफिसर को पत्र भेज कर कहा है कि पूरे राज्य में किसी भी मदरसे को कामिल और फाजिल पाठ्यक्रम पढ़ाने का अधिकार नहीं है और मदरसा एजूकेशन बोर्ड को कामिल और फाजिल की डिग्री देने का अधिकार नहीं है।

याचिका में कहा गया है कि अभी 50000 छात्र पूरे राज्य में कामिल और फाजिल की शिक्षा ले रहे हैं और कुछ छात्र आलिम (सीनियर सैकेन्ड्री) की शिक्षा ले रहे हैं इस पत्रक (करेस्पांडेंस) से उन सभी में अनिश्चितता की स्थिति उत्पन्न हो गई है। वे अधर में हैं और उनके भविष्य का सवाल है और इससे उन्हें संविधान के अनुच्छेद 14, 19(1)(जी), 21,28 और 30 में मिले मौलिक अधिकार का उल्लंघन होता है।

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