34 C
Bhopal

मप्र हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी

प्रमुख खबरे

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक आदेश पर नाराजगी जताई है। हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि सजा के निलंबन के लिए दोषी की याचिका व्यक्ति तभी स्वीकार की जा सकती है, जब उसने अपनी आधी सजा काट ली हो।

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जवल भुइयां की बेंच ने एक व्यक्ति की जमानत याचिका मंजूर कर ली। बेंच ने अपने आदेश कहा कि यदि लंबित मामलों की बड़ी संख्या के कारण हाईकोर्टों में निकट भविष्य में दोषसिद्धि के खिलाफ की गई अपील पर सुनवाई की कोई संभावना नहीं है तो दोषी को जमानत प्रदान की जानी चाहिए।

बेंच ने 17 अप्रैल को सुनाए अपने फैसले कहा, “हम हैरान हैं कि हाईकोर्ट ने एक नए कानून का प्रस्ताव तैयार किया है, जिसका कोई आधार नहीं है।”

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट को कानून को उसी रूप में लागू करना चाहिए, जैसा वह है और याचिकाकर्ता को जमानत के लिए उसके समक्ष जाने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।

हाईकोर्ट के आदेश में कहा गया था, “इस तथ्य को देखते हुए कि याचिकाकर्ता की पैंट की जेब से दागदार नोट बरामद किए गए हैं और इसके लिए कोई सफाई नहीं दी गई है, ऐसे में सजा को निलंबित करने और जमानत देने का कोई मामला नहीं बनता है।”

इसमें आगे कहा गया, “पहली अर्जी खारिज किए जाने के दो महीने से भी कम समय बाद दूसरा अर्जी दायर की गई। इसके अनुसार, यह साफ किया जाता है कि याचिकाकर्ता छूट सहित जेल में आधी सजा काटने के बाद सजा के निलंबन के लिए अपनी अर्जी को फिर से पेश कर सकता है।”

सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि उसके कई फैसलों के बावजूद ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्टों ने कानून के सामान्य उल्लंघन से जुड़े मामलों में भी आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया।

- Advertisement -spot_img

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -spot_img

ताज़ा खबरे