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सुनीता विलियम्स 9 महीने बाद सकुशल लौटी धरती पर, सांसें थामने वाला 7 मिनट का था एक पल भी: यान तड़के 3.27 बजे फ्लोरिडा में समुद्र तल पर हुआ लैंड

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नई दिल्ली। भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स 9 महीने बाद सकुशल धरती पर लौट आई हैं। नासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक सुनीता को लेकर लौटा यान तड़के 3.27 बजे अमेरिका के फ्लोरिडा में समुद्र तल पर लैंड हुआ। सुनीता विलियम्स के साथ उनके साथी मित्र बुच विल्मोर और अन्य दो अंतरिक्ष यात्री भी धरती पर वापसी हुई। इन सभी अंतरिक्ष यात्रियों को धरती पर लाने में नासा के साथ एलान मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अंतरिक्ष से धरती तक का यह सफर 17 घंटे का था। लेकिन लैंडिंग की इस प्रक्रिया में सांसें थामने वाला 7 मिनट का एक पल भी था। दरअसल तापमान बढ़ने की वजह से यान का संपर्क 7 मिटन के लिए टूट गया था। हालांकि यान सभी यात्रियों को लेकर सकुशल फ्लोरिडा में समुद्र तल पर लैंड हो गया। फ्लोरिडा में स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल से लौटे चारों अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित वापसी की नासा ने पुष्टि की।

बता दें कि ये चारों अतंरिक्ष यात्री मंगलवार को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) से रवाना हुए थे। स्पेसक्राफ्ट के धरती के वायुमंडल में प्रवेश करने पर इसका तापमान 1900 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हो गया। इस दौरान करीब 7 मिनट के लिए कम्युनिकेशन ब्लैकआउट रहा, यानी यान से संपर्क नहीं रहा। यहां पर बता दें कि सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर बोइंग और NASA के 8 दिन के जॉइंट क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन पर गए थे। इस मिशन का उद्देश्य बोइंग के स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट की एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन तक ले जाकर वापस लाने की क्षमता को टेस्ट करना था। एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन पर 8 दिन में रिसर्च और कई एक्सपेरिमेंट भी करने थे। लेकिन थ्रस्टर में आई गड़बड़ी के बाद उनका 8 दिन का मिशन 9 महीने से ज्यादा समय का हो गया था।

स्पेस स्टेशन से पृथ्वी पर लौटने में 17 घंटे लगे
ड्रैगन कैप्सूल के अलग होने से लेकर समुद्र में लैंडिंग तक करीब 17 घंटे लगे। 18 मार्च को सुबह 08:35 बजे स्पेसक्राफ्ट का हैच हुआ, यानी दरवाजा बंद हुआ। 10:35 बजे स्पेसक्राफ्ट आइएसएस से अलग हुआ। 19 मार्च को रात 2:41 बजे डीआॅर्बिट बर्न शुरू हुआ। यानी, कक्षा से उल्टी दिशा में स्पेसक्राफ्ट का इंजन फायर किया गया। इससे स्पेसक्राफ्ट की पृथ्वी के वातावरण में एंट्री हुई और सुबह 3:27 बजे फ्लोरिडा के तट पर समुद्र में लैंडिंग।

क्या है कम्युनिकेशन ब्लैकआउट?
जब भी कोई स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष से पृथ्वी के वायुमंडल से प्रवेश करता है तो उसकी रफ्तार लगभग 28000 किमी प्रति घंटे की होती है। इस रफ्तार से जब कैप्सूल गुजरता है तो वायुमंडल से रगड़ खाता है। इसी घर्षण की वजह से कैप्सूल का टेंपरेचर और बढ़ता है, जिससे स्पेसक्राफ्ट क्रैश हो जाता है। इस दौरान स्पेसक्राफ्ट का मिशन कंट्रोल से सिग्नल टूट जाता है। इस बीच यान का किसी तरह से संपर्क नहीं रहता। इस चुनौती को भी पार करते हुए स्पेसक्राफ्ट की समंदर में सफल लैंडिंग हुई और एक-एक कर चारों अंतरिक्षयात्रियों को सकुशल बाहर निकाला गया। इस तरह अंतरिक्ष में 286 दिन बिताने के बाद सुनीता विलियम्स और उनके साथियों ने धरती की ताजा हवा में एक बार फिर सांस ली।

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