भोपाल। डीजीपी कैलाश मकवाना ने पुलिस कर्मियों को आदेश दिया है कि मप्र के माननीयों (सांसद-विधायकों) को सलामी ठोंके। डीजीपी के इस आदेश में मप्र में सियासत शुरू हो गई है। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने शनिवार को सरकार पर निशाना साधते हुए आदेश को लोकतंत्र पर हमला और वर्दी का अपमान बताया था। वहीं उन्होंने रविवार को डीजीपी को पत्र लिखकर आदेश को वापस लेने की मांग की है।
जीतू पटवारी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट कर लिखा- यदि गंभीर आपराधिक मामलों में नामजद जनप्रतिनिधियों को पुलिस सलामी देगी, तो पुलिस की साख और निष्पक्षता प्रभावित होगी! @DGP_MP को पत्र लिखकर इस गैर-जरूरी निर्णय को वापस लेने की मांग की! ताकि, पुलिस के सम्मान को कायम रखा जा सके!
यदि गंभीर आपराधिक मामलों में नामजद जनप्रतिनिधियों को पुलिस सलामी देगी, तो पुलिस की साख और निष्पक्षता प्रभावित होगी!@DGP_MP को पत्र लिखकर इस गैर-जरूरी निर्णय को वापस लेने की मांग की! ताकि, पुलिस के सम्मान को कायम रखा जा सके!@PMOIndia@CMMadhyaPradesh pic.twitter.com/TJm54LsVMI
— Jitendra (Jitu) Patwari (@jitupatwari) April 27, 2025
डीजीपी ने दिए आदेश
आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में पुलिस अफसरों और कर्मचारियों को अब सांसद-विधायकों को भी सैल्यूट करना होगा। डीजीपी कैलाश मकवाना ने आदेश जारी कर कहा है कि किसी भी जनप्रतिनिधि के साथ शिष्ट व्यवहार में कमी नहीं होनी चाहिए। सांसद और विधायक मिलने आए तो पुलिस अफसरों को प्राथमिकता के आधार पर उनसे मुलाकात कर बात सुननी होगी। पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाना ने इसके निर्देश प्रदेश की सभी पुलिस इकाइयों को जारी कर इसका पालन करने के लिए कहा है। सभी सांसद, विधायकों को सरकारी कार्यक्रम या सामान्य मुलाकात के दौरान उनका अभिवादन वदीर्धारी अधिकारी और कर्मचारी सैल्यूट करके करेंगे।