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ब्रांड को भावनाओं से जोड़ने में मास्टर थे पीयूष पांडे, फेमस स्लोगन

प्रमुख खबरे

शैलेष शर्मा।

पीयूष पांडे (1955-2025) भारतीय विज्ञापन जगत के एक क्रांतिकारी व्यक्तित्व थे, जिन्हें “एड गुरु” के नाम से जाना जाता था।

उन्होंने भारतीय विज्ञापनों को पश्चिमी प्रभाव से मुक्त कर स्थानीय भाषा, संस्कृति और हास्य से भर दिया, जिससे ब्रांड्स घर-घर पहुंचे।

23 अक्टूबर 2025 को 70 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया, लेकिन उनकी विरासत आज भी जीवित है। नीचे उनकी प्रमुख उपलब्धियों का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:प्रमुख पुरस्कार और सम्मानपद्म श्री (2016): भारतीय विज्ञापन जगत के पहले व्यक्ति को यह राष्ट्रीय सम्मान मिला।

कैन फिल्म फेस्टिवल लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड (2018): अपने भाई प्रसून पांडे के साथ पहले एशियाई भाई-बहनों को “लाइन ऑफ सेंट मार्क” सम्मान।

एलआईए लेजेंड अवॉर्ड (2024): वैश्विक विज्ञापन उद्योग में उत्कृष्ट रचनात्मकता और मेंटरशिप के लिए।

क्लियो लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड (2012): रचनात्मक योगदान के लिए।

कैन लायंस जूरी प्रेसिडेंट (2004): आउटडोर और प्रेस कैटेगरी में पहले एशियाई अध्यक्ष।

इकोनॉमिक टाइम्स का सबसे प्रभावशाली व्यक्ति: भारतीय विज्ञापन में 14 वर्ष लगातार (2002-2023)।

एडवरटाइजिंग एजेंसीज एसोसिएशन ऑफ इंडिया लाइफटाइम अचीवमेंट (2010)।

उनके नेतृत्व में ओगिल्वी इंडिया को 12 वर्षों तक दुनिया की नंबर 1 क्रिएटिव एजेंसी का खिताब मिला। कुल 1000+ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीते।

प्रमुख विज्ञापन अभियानपीयूष पांडे ने 1982 से ओगिल्वी में 40+ वर्ष बिताए, जहां उन्होंने सरलता और भारतीयता पर आधारित अभियान बनाए। कुछ आइकॉनिक उदाहरण:ब्रांड/अभियान

स्लोगन/विवरण

प्रभाव

एशियन पेंट्स

“हर घर हर खुशी को रंग दे”

ब्रांड को भावनात्मक रूप से जोड़ा, घरेलू खुशियों का प्रतीक बना।

कैडबरी

“कुछ खास है जिंदगी में” (डांसिंग गर्ल कैंपेन)

चॉकलेट को खुशी का प्रतीक बनाया, सदी का सर्वश्रेष्ठ कैंपेन।

फेविकॉल

“ये फेविकॉल का जोड़ है, टूटेगा नहीं” (ट्रक और एग विज्ञापन)

चिपकने वाले गोंद को मजाकिया तरीके से लोकप्रिय बनाया।

हच/वोडाफोन

पुग डॉग कैंपेन (“Wherever you go, our network follows”)

मोबाइल कनेक्टिविटी को प्यारू से जोड़ा, पॉप कल्चर का हिस्सा।

कोका-कोला

“ठंडा मतलब कोका-कोला”

गर्मी में ठंडक का प्रतीक।

बजाज

“हमारा बजाज”

स्कूटर को मध्यम वर्ग का साथी बनाया।

पल्स पोलियो

“दो बूंद जिंदगी की”

भारत को पोलियो-मुक्त बनाने में योगदान, अमिताभ बच्चन के साथ।

मिले सुर मेरा तुम्हारा (1988, राष्ट्रीय एकीकरण अभियान)

विविधता में एकता का गीत

दूरदर्शन पर प्रसारित, आज भी प्रासंगिक।

गुजरात पर्यटन

“खुशबू छुपी है… गुजरात की धरती में”

राज्य को पर्यटन हब बनाया।

गूगल रीयूनियन

भावनात्मक कहानी

फैमिली रीयूनियन को डिजिटल रूप से जोड़ा।

राजनीतिक और सामाजिक योगदान 2014 लोकसभा चुनाव: “अबकी बार मोदी सरकार” और “अच्छे दिन आने वाले हैं” जैसे नारे दिए, जो राजनीतिक प्रचार को सरल और प्रभावी बनाया।

सामाजिक मुद्दों पर अभियान: लिंग समानता, शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण, कैंसर जागरूकता (कैंसर पेशेंट्स एसोसिएशन के लिए डबल गोल्ड कैन लायंस)।

मेंटरशिप: बर्लिन स्कूल ऑफ क्रिएटिव लीडरशिप में वैश्विक क्रिएटिव्स को प्रशिक्षित किया।

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