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ऑपरेशन सिंदूर भारत की सैन्य कामयाबी भी है और डिप्लोमैटिक जीत भी

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डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी।

◆ भारत ने दर्जनों मिसाइलों और ड्रोन से हमले किये, लेकिन पाकिस्तान की सेना किसी को इंटरसेप्ट नहीं कर पाई। क्यों? क्योंकि पाकिस्तान की वायु रक्षा मुख्य रूप से चीनी वायु रक्षा प्रणालियों जैसे HQ-9/P (125–250 किमी रेंज), LY-80 (40–70 किमी), और HQ-16FE पर निर्भर है, साथ ही HT-233 और IBIS-150 जैसे राडारों के साथ। ये सब बोगस चीनी सामान साबित हुआ।

◆ हमले के लिए भारतीय वायु सेना के एक भी विमान ने पाकिस्तान की वायु सीमा का उल्लंघन नहीं किया।

◆ यह भारतीय सैन्य ऑपरेशन तीनों सेनाओं ने मिलकर किया था। 54 साल बाद। इसमें एक भी नागरिक, सैन्य ठिकाने या सरकार में बैठे मंत्री को निशाना नहीं बनाया गया। केवल और केवल आतंकी ठिकाने निशाने पर रहे ताकि युद्ध की स्थिति से बचा जा सके।

◆ लक्ष्यों का चयन विश्वसनीय खुफिया सूचनाओं के आधार पर किया गया, जिसमें आतंकी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, और TRF के ठिकाने शामिल थे। ये ठिकाने मुरिदके, कोटली, मुजफ्फराबाद, और बहावलपुर जैसे स्थानों पर थे।

◆ भारत ने स्टैंड ऑफ हथियारों जैसे SCALP मिसाइलों का प्रयोग किया, जिन्हें भारतीय हवाई क्षेत्र से लॉन्च किया गया। ये हथियार लंबी दूरी से हमला करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, ये कम ऊंचाई की उड़ान मार्गों या स्टील्थ विशेषताओं का उपयोग करके पाकिस्तान के राडार की पकड़ से बच गए।

◆ रणनीति में यह सुनिश्चित किया गया कि हमले आतंकी ढांचों तक सीमित रहें और पाकिस्तानी सैन्य व्यवस्थाओं को निशाना न बनाया जाए। .

◆ विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि कार्रवाई ‘नपी-तुली, गैर-विस्तारवादी और जिम्मेदार’ थी। इसका उद्देश्य केवल आतंकी ढांचों को नष्ट करना था, न कि पाकिस्तान के साथ युद्ध को बढ़ावा देना।

◆ भारत ने इस ऑपरेशन के पहले ही बहुत कूटनीतिक तैयारी कर रखी थी। ऑपरेशन के बाद, भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, सऊदी अरब और यूएई जैसे प्रमुख देशों को कार्रवाई की जानकारी दी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के स्थायी और अस्थायी सदस्यों को भी सूचित किया गया, सिवाय पाकिस्तान के।

◆ विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने फ्रांस, जर्मनी, स्पेन और जापान के विदेश मंत्रियों से बात की, और NSA अजीत डोभाल ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से संपर्क किया।

◆ चीनी राजदूत को भी विदेश मंत्रालय मुख्यालय में ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी दी गई। साथ ही भारतीय दूतावास ने बीजिंग में चीन के सरकारी समाचारपत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ को चेतावनी दी कि वे ऑपरेशन से संबंधित जानकारी की पुष्टि करें, ताकि गलत सूचना न फैले। सरकारी अखबार ही तो भी माजने से रहो। कायदे में रहे तो फायदे में रहोगे। यह कदम अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भारत की कार्रवाई को पारदर्शी और जिम्मेदार दिखाने के लिए उठाया गया था।

◆ ऑपरेशन के बाद कूटनीतिज्ञों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ संवाद जारी रखा और गलत सूचना का मुकाबला किया।

◆ पाकिस्तान के नैरेटिव को रोकना भी एक काम रहा। भारत ने यह स्पष्ट किया कि हमले केवल आतंकवादी ढांचे पर किए गए थे, न कि पाकिस्तानी सैन्य या नागरिक सुविधाओं पर, ताकि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुद को पीड़ित दिखाने से रोका जा सके। पाकिस्तान पीड़ित नहीं, आतंक फ़ैलाने का अपराधी है।

 

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