भोपाल। कूनो नेशनल अभयारण्य के दो चीतों को नया ठिकाना मिल गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने रविवार की शाम पावक और प्रभास को गांधी सागर अभयारण्य के बाड़े में छोड़ा। दोनों चीतों को को अलग-अलग वाहनों से कूनो से गांधी सागर अभयारण्य ले जाया गया। दोनों चीते 8 घंटे का सफर तय कर श्योपुर, बारां, कोटा और झालावाड़ होते हुए मंदसौर पहुंचे। बता दें कि भारत में ऐसा पहली बार हुआ है, जब चीतों की शिफ्टिंग की गई है। नर चीते पावक और प्रभाष करीब 6-6 साल के हैं। दोनों सगे भाई है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि चीता प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विश्व में सबसे अधिक सफल मध्यप्रदेश में हुआ है। पुनर्वास के बाद श्योपुर के कूनो में दुनिया में सबसे अधिक चीतों का जन्म हुआ है। मालवा की भूमि पर हम चीतों का स्वागत करते हैं। चीतों के आने से मंदसौर और नीमच जिलों मे पर्यटन की संभावनाओं को पंख लग जायेंगे। राजस्थान और मध्यप्रदेश के सीमावर्ती जिलों में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
स्थानीय लोगों को मिलेंगे रोजगार के नए अवसर: सीएम
सीएम ने कहा कि स्थानीय लोगों को रोजगार के नये अवसर मिलेंगे, उनके जीवन स्तर में भी सुधार होगा। पर्यटकों की संख्या बढ़ने से अर्थव्यवस्था में भी सुधार होगा। वन्य पर्यावरण की दृष्टि से मध्यप्रदेश की धरा पर चीतों का सफलतापूर्वक पुनर्वास किया गया है। कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, सांसद सुधीर गुप्ता, विधायक अनिरुद्ध मारू, हरदीप सिंह डंग, पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्य नारायण जटिया, अपर मुख्य सचिव वन अशोक वर्नवाल, संभाग आयुक्त संजय गुप्ता और वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी असीम श्रीवास्तव के साथ बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित रहे।
20 लोगों की टीम भी पहुंची गांधी सागर अभयारण्य
श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क से गांधीसागर अभयारण्य के लिए दो नर चीते प्रभास और पावक को 20 अप्रैल, रविवार की सुबह रवाना किया गया था। सीसीएफ उत्तम कुमार शर्मा और डॉक्टर ओंकार अचल सहित 20 लोगों की टीम चीतों के साथ गांधी सागर अभयारण्य पहुंची। यह टीम गांधी सागर में 7 दिन रुकेगी। इस दौरान वह स्थानीय स्टाफ को चीतों की देख-रेख के गुर सिखाएगी।