राजधानी भोपाल के बड़े तालाब (अपर लेक) क्षेत्र में अतिक्रमण के मामले में राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने भोपाल नगर निगम को कड़ी फटकार लगाते हुए दो सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
न्यायाधिकरण ने साफ कहा है कि आर्द्रभूमि नियमों का अक्षरशः पालन किया जाए और सभी अवैध निर्माणों और अतिक्रमणों को हटाया जाए।
पर्यावरण मंत्रालय की अधिवक्ता डॉ. सपना अग्रवाल ने कहा कि मंत्रालय ने अपने जवाब में पहले ही स्पष्ट किया है कि आर्द्रभूमि नियमों के अनुसार स्थानीय प्रशासन को प्रतिबंधित और विनियमित गतिविधियों पर सख्त निगरानी रखनी होगी। किसी भी उल्लंघन की स्थिति में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को कार्रवाई करनी होगी।
आवेदक पक्ष ने न्यायाधिकरण को बताया कि 7 अक्टूबर 2025 के आदेश के अनुसार अपर लेक क्षेत्र में अतिक्रमणों को लेकर बीएमसी ने अब तक स्पष्ट जवाब नहीं दिया है।
बीएमसी की ओर से कहा गया कि अतिक्रमण के आरोपितों को नोटिस जारी किए जा चुके हैं और सुनवाई की प्रक्रिया चल रही है।
इस पर NGT ने नगर निगम की लापरवाही पर नाराजगी जताई और कहा कि पहले दिए गए निर्देशों का समय पर पालन नहीं किया गया है।
न्यायाधिकरण ने निर्देश दिए कि भोपाल नगर निगम पूर्व आदेशों के अनुसार अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करे और आर्द्रभूमि नियमों का पूरी तरह पालन सुनिश्चित करे। की गई कार्रवाई की रिपोर्ट दो सप्ताह के भीतर न्यायाधिकरण को सौंपी जाए।
राज्य सरकार के अधिवक्ता प्रशांत हरने ने बताया कि इसी तरह का एक मामला मूल आवेदन संख्या 77/2020 में भी लंबित है।
यह मामला भोपाल के बड़े तालाब क्षेत्र में अवैध निर्माण और भूमि अतिक्रमण से जुड़ा है। पर्यावरणविदों का कहना है कि इस तरह की गतिविधियां झील की जल धारण क्षमता, जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा रही हैं।


 
                                    
