डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी।
यह क्रिएटर गोल्ड रश का दौर है। जब दो मिनट में कहानी पूरी हो जाए और किरदार याद रह जाए, वह दौर! मुझे भी करोड़ों लोगों की तरह रील्स देखना पसंद है।
ये शॉर्ट्स वीडियो सिनेमाघरों और मल्टीप्लेक्स की फिल्मों से भी ज्यादा लोकप्रिय हो रहे हैं और तो और इन्होंने OTT प्लेटफॉर्म्स को भी हिलाकर रख दिया है।
– लुमियर ब्रदर्स ने 7 जुलाई, 1896 को मुंबई (तब बॉम्बे) के वॉटसन होटल में 6 फिल्मों का प्रदर्शन किया था, वे सब रील्स ही थीं, जिनकी अवधि 54 सेकंड्स अधिकतम थी। इसे भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना माना जाता है। उन रील्स की तुलना में आजकल के बच्चे बेहतरीन रील्स बनाते हैं। सस्ते स्मार्टफोन और डेटा प्लान की उपलब्धता ने वीडियो सामग्री को आसानी से देखने और बनाने में मदद की।
– शॉर्ट-फॉर्म वीडियो का दबदबा है। इंस्टाग्राम रील्स, यूट्यूब शॉर्ट्स, और मोज जैसे प्लेटफॉर्म्स ने शॉर्ट-फॉर्म वीडियो को भारत में सबसे लोकप्रिय ट्रेंड बना दिया है। ये वीडियोज़ 15 सेकंड से 3 मिनट तक के होते हैं और मनोरंजन, शिक्षा, ट्यूटोरियल और मार्केटिंग के लिए उपयोग किए जाते हैं। छोटे वीडियोज कम समय में ध्यान आकर्षित करते हैं, जिससे यूजर्स का ध्यान कम होने के बावजूद इंगेजमेंट बढ़ता है।
– हाल ही की एक रिपोर्ट के अनुसार शॉर्ट-वीडियो कंटेंट इकोसिस्टम तेजी से बदल रहा है। इस बदलाव के केंद्र में हैं माइक्रोड्रामा- ऐसे बेहद संक्षिप्त, भावनात्मक और ट्विस्ट से भरे वीडियो जो एक मिनट से भी कम समय में पूरी कहानी कह जाते हैं। इंस्टाग्राम रील्स और यूट्यूब शॉर्ट्स जैसे प्लेटफॉर्म्स ने इस फॉर्मेट को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है, जिससे अब कई नए खिलाड़ी इस क्षेत्र में उतर चुके हैं।
– इस तेजी से उभरते इस सेगमेंट में स्थानीय भाषाओं में छोटे-छोटे फिक्शन एपिसोड के साथ सामने आए हैं। खास बात यह है कि ये सभी मोबाइल-फर्स्ट उपभोक्ताओं को ध्यान में रखते हुए टियर-2 और टियर-3 शहरों को टारगेट कर रहे हैं।
– यह ओटीटी के लिए चेतावनी है। माइक्रोड्रामा पारंपरिक ओटीटी मॉडल को दर्शक, क्रिएटर और ब्रैंड स्पेंडिंग के मामले में कड़ी चुनौती दे रहा है। पारंपरिक ओटीटी को अब मोबाइल-फर्स्ट स्ट्रैटेजी और स्नैकेबल फॉर्मेट अपनाने की जरूरत है।
– यह ‘हाइब्रिड जॉनर’ हैं, जिसमें ओटीटी की गहराई भी है और सोशल मीडिया की गति का संगम भी। विशेषज्ञ कहते हैं कि “हम माइक्रो-बिंजिंग की ओर बढ़ रहे हैं, जहां मिनी एंथोलॉजी और कैप्सूल ड्रामा मुख्यधारा बन सकते हैं।”
– टॉप ब्रैंड्स भी अब माइक्रोड्रामा में अपनी जगह बना रहे हैं। न केवल इंटीग्रेशन के जरिए, बल्कि स्वतंत्र ब्रैंडेड सीरीज के रूप में भी। उदाहरण के तौर पर Canva’s Calm Chori और ListenTBH x Jeevansathi’s Finding Forever को देखा जा सकता है।
जब दो मिनट में कहानी खत्म हो जाए और किरदार याद रह जाएं, तब मार्केटिंग स्मार्ट हो जाती है। यह क्रिएटर गोल्ड रश का दौर है। ये प्लेटफॉर्म ‘क्रिएटर-फर्स्ट ओटीटी’ बनते जा रहे हैं, जहां क्षेत्रीय कहानीकारों को पहली बार राष्ट्रीय मंच मिल रहा है।
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