भोपाल। मप्र सरकार ने फिर 4400 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। खास बात यह है कि सरकार ने मार्च महीने में यह तीसरी बार कर्ज लिया है। बता दें कि मप्र सरकार ने इससे पहले 5 मार्च 4000 को करोड़, 12 मार्च को 4000 करोड़ और 19 मार्च को 6000 करोड़ का कर्ज लिया था। सरकार द्वारा फिर लिए गए कर्ज पर मप्र के सीएम और कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ ने तंज कसा है। साथ ही सरकार से सवाल भी किया है कर्ज का कहां पर इस्तेमाल हो रहा है।
नाथ ने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर लिखा कि प्रदेश सरकार का कर्ज संकट आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपैयावाली स्थिति में पहुंच गया है। कर्ज की स्थिति अब सरकार के वार्षिक बजट से भी ज्यादा हो गया है। उन्होंने आगे लिखा कि प्रदेश सरकार ने दो हफ्ते पहले जो बजट पेश किया वह 4.2 लाख करोड़ रुपये का था, जबकि मंगलवार को सरकार ने 4400 करोड़ रुपये का जो अतिरिक्त लोन लेने की औपचारिकताएं पूरी कीं, उसके बाद प्रदेश सरकार के ऊपर 4.3 लाख करोड़ रुपया से अधिक का कर्ज हो गया है।
लाखों करोड़ का कर्ज जा रहा सत्ताधारी लोगों के जेबों में
प्रदेश सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 61,400 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। प्रदेश को इतने जबरदस्त कर्ज संकट में धकेलने के बावजूद प्रदेश में विकास के नाम पर सिर्फ घोटाले हो रहे हैं। इस तरह से लाखों करोड़ रुपये का यह कर्ज प्रदेश के विकास में नहीं, बल्कि सत्ताधारी पार्टी और उससे जुड़े लोगों की जेब में भ्रष्टाचार के रूप में जा रहा है। पूर्व सीएम ने आगे लिखा कि कर्ज कि इस रकम को कभी मध्य प्रदेश की जनता कार में रखे करोड़ों रुपया और सोने के रूप में देखती है, कभी धान घोटाले के रूप में देखती है, कभी राशन घोटाले के रूप में देखती है, कभी भर्ती घोटाले के रूप में देखती है तो कभी बेरोजगारों की बढ़ती संख्या के रुप में देखती है।
आखिर कर्ज का कहां हो रहा इस्तेमाल
उन्होंने कहा कि प्रदेश में नौकरियां कम हो रहीं, हैं, रोजगार कम हो रहा है, किसानों की आमदनी कम हो रही है, स्कूलों की संख्या कम हो रही है और स्कूलों में छात्रों की संख्या कम हो रही, सरकारी स्कूल कॉलेज में शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं और आवश्यक वस्तुएं लगातार महंगी हो रही हैं, तो फिर आखिर कर्ज की इस रकम का उपयोग कहां हो रहा है? इस रकम का उपयोग भ्रष्टाचार और सरकारी इवेंटबाजी में हो रहा है। बड़े बड़े विज्ञापनों और आयोजनों में हो रहा है। कर्ज लेने की प्रवृत्ति अब एक महामारी बन गई है, जिससे मध्य प्रदेश की जनता छुटकारा चाहती है।