कोलकाता। वक्फ कानून के विरोध में पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद सुलग उठा है। प्रदर्शनकारियों ने यहां के सूती में शुक्रवार को जमकर बवाल काटा है। जहां एक ओर उपद्रवियों ने वाहनों को आग के हवाले कर दिया है, तो वहीं ट्रेन भी रोकी और पुलिस पर पत्थर से बरसाए। इलाके में हालातों का काबू करने के लिए बीएसएफ को तैनात किया गया है। बंगाल पुलिस के अनुसार, जंगीपुर के सुती और शमशेरगंज इलाकों में स्थिति अब नियंत्रण में है। इस बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उपद्रवियों पर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए हैं।
प्रदर्शनकारियों ने ऐसी हिंसा की है कि उसके निशान जगह-जगह बिखरे पड़े हैं। हाइवे किनारे दोपहिया और चार पहिया जले पड़े हैं। सड़क किनारे दुकानों में भी आगजनी की कोशिश हुई है। मुर्शिदाबाद, नॉर्थ 24 परगना और मालदा में हालात काबू से बाहर हो गए। मुर्शिदाबाद के जंगीपुर और सुती इलाकों में भारी प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग-12 पर वाहनों को आग के हवाले कर दिया। इस दौरान पुलिस पर पथराव भी किया गया। यह पहला मौका नहीं है, तीन दिन पहले भी मुर्शिदाबाद में इसी तरह की अराजकता देखने को मिली थी। भीड़ का पुलिस से टकराव हो गया था। घंटों तक नेशनल हाइवे 34 जाम कर दिया गया था।
मुर्शिदाबाद के सूती से हुई हिंसा की शुरुआत
बताया जा रहा है कि शुक्रवार को सबसे पहले मुर्शिदाबाद के सूती में हिंसा की शुरूआत हुई। उसके बाद जंगीपुर से पुलिसबल मौके पर पहुंचा और हालात संभालने में जुट गया। इसी दौरान सूती से 10 किमी दूर शमशेरगंज में भी बवाल की खबरें आने लगीं। हालांकि, पुलिसबल सूती में हाइवे से जाम हटवाने में जुटा रह गया। पुलिस शमशेरगंज तक नहीं पहुंच पाई और वहां हिंसा का ताडंव मचा रहा। ऐसे में सेंट्रल फोर्स बीएसएफ को उतरना पड़ा, तब तक बड़ा नुकसान हो चुका था।
पहले से तो नहीं थी हिंसा की प्लानिंग?
दरअसल, मुर्शिदाबाद में शुक्रवार की नमाज के बाद वक्फ विधेयक के खिलाफ हजारों लोग सड़कों पर उतर पड़े और नेशनल हाइवे 34 ब्लॉक कर दिया। जब पुलिस ने नेशनल हाइवे से अवरोध हटाने की कोशिश की तो पुलिस के साथ एक तरह से जंग छिड़ गई। ठीक उसी समय मुर्शिदाबाद से लगभग 10 किलोमीटर दूर शमशेर गंज में भी नेशनल हाइवे पर हजारों की संख्या में लोग आ गए।
भाजपा सांसद ने ममता को घेरा
इस बीच मुर्शिदाबाद हिंसा पर भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार अराजकता को रोकने में असमर्थ है या अनिच्छुक है। जिस तरह से राज्य में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाया जा रहा है और वहां की सरकार कुछ नहीं कर रही है, यह चिंताजनक है। राज्य सरकार को हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ जल्द कार्रवाई करनी चाहिए। इससे मुख्यमंत्री के कामकाज पर सवाल उठता है। क्या राज्य सरकार चुपचाप देखकर ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा दे रही है?’