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संसद का मानसून सत्र: विपक्ष के हंगामे पर बिफरे बिरला, राहुल-गोगोई को सुनाई खरी-खरी

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नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र का आज 8वां दिन रहा, लेकिन विपक्ष के हंगामे के चलते लोकसभा हो या फिर राज्यसभा में दोनों ही सदनों की कार्यवाही अब तक सुचारू रूप से नहीं चल सकी है। सोमवार को भी ऐसा ही दृश्य देखने को मिला। लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सांसदों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। इसमें लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और उपनेता गौरव गोगोई भी शामिल थे। विपक्ष के इस रवैए पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला विफर गए और कांग्रेस सांसदों राहुल-गोगोई का नाम लेकर सदन में व्यवधान पैदा करने का आरोप लगाया।

विपक्ष के हंगामे से गुस्सा में लाल हुए स्पीकर ने कहा कि मिस्टर गोगोई और आप सब राजनीतिक दलों के लोग आए थे, आपने कहा आॅपरेशन सिंदूर पर चर्चा होनी चाहिए, फिर आप सदन बाधित कर रहे हैं। आखिर सदन आप क्यों नहीं चलने दे रहे? प्रश्नकाल माननीय सदस्यों का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। आखिर देश जानना चाहता है कि आप प्रश्नकाल क्यों स्थगित करना चाहते हैं? क्यों आप प्रश्नकाल के अंदर नियोजित बाधा करना चाहते हैं?

राहुल से दो टूक शब्दों में बोले बिरला
वहीं राहुल गांधी का नाम लेते हुए ओम बिरला ने कहा, श्माननीय प्रतिपक्ष के नेता.. आपके दल के नेताओं को समझाओ, इनको सदन में पर्चे फेंकने के लिए, तख्तियां लाने के लिए नहीं भेजा है.. आप प्रश्नकाल नहीं चलाना चाहते.. जवाब दो। देश जानना चाहता है कि आप प्रश्नकाल क्यों नहीं चलाना चाहते। 10 महत्वपूर्ण मंत्रालयों पर आज चर्चा होने वाली है। शिक्षा, पर्यावरण, विधि, श्रम जैसे महत्वपूर्ण विभागों पर चर्चा… सदस्यों का समय होता है… आखिर क्यों प्रश्नकाल स्थगित करा रहे हो आप? क्यों सदन के अंदर नारेबाजी, तख्तियां, पर्चियां फेंक रहे हो? ये सदन के अंदर मयार्दा है आपकी।

देश देखना चाहता है, आप नियोजित तरीके से सदन को बाधित करते हैं संसद की मयार्दाओं को गिराते हैं गरिमा को गिराते हैं आप चर्चा नहीं करना चाहते… प्रश्नकाल में माननीय सदस्यों को बोलने नहीं देते आप। ये तरीका आपका उचित नहीं है… आग्रह कर रहा हूं सदन की मयार्दा बनाकर रखो। सदन सबका है। देश की 140 करोड़ जनता की अभिव्यक्ति की सर्वोच्च संस्था है। लोकसभा स्पीकर ने कहा आप इसी तरीके का आचरण व्यवहार करना चाहते हैं, ये देश देखेगा कि आपने प्रश्नकाल को नियोजित तरीके से बाधा पहुंचाई, तख्तियां लहराईं, पर्चे फेंके, नारेबाजी की। इसके बाद उन्होंने कार्यवाही स्थगित कर दी।

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