इसे दीपावली (Deepawali) की तैयारियों की तरह कीजिये। तब आप अपने घर की सफाई के लिए खुद ही जुट जाते हैं। किसी सरकार अमले का इंतज़ार किये बगैर। अपना व्यवहार होली (Holi) जैसा करें। उस दिन आप खुद औरों के घर जाकर उनसे पर्व की खुशी बांटते हैं। इसमें ईद (Eid) जैसी भाईचारे की भावना को भी लाइए। क्रिसमस (Christmas) की तरह सामूहिक प्रार्थना के वातावरण को बेमौसम ही सही, मगर आचरण में लाइए। गुरु पर्व की रोशनी को आज ही प्रसारित कीजिये। ये सब कीजिये सोमवार के लिए। उन तीन दिनों की खातिर, जब मध्यप्रदेश की सरकार (Government of Madhya Prdesh) कोरोना (Corona) के खिलाफ वैक्सीनेशन (Vaccination) का बड़ा अभियान चलाएगी।
जैसे दीपावली पर अपने घर और आसपास की सफाई आप खुद करना पसंद करते हैं, वैसे ही कोरोना के सफाये के इस अभियान में भी आपका स्वेच्छा से जुड़ना बहुत जरूरी हो गया है। सरकार तो अपने स्तर पर इस काम का प्रचार कर ही रही है। लेकिन ये हम सभी का भी फर्ज है कि खुद और अपने आसपास इस के लिए जागरूकता फैलाएं। जिनका अभी वैक्सीनेशन नहीं हुआ है, उन्हें टीका लेने के लिए प्रेरित करें। होली की रवायत की ही तरह आप घर-घर में संपर्क के माध्यम से अपने-अपने तई यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि कहीं आपके परिचितों में कोई टीके से छूट तो नहीं रहा है। यकीनन कोरोना काल में लोगों के पास जाकर ऐसा कर पाना सुरक्षित नहीं है। मगर फ़ोन कॉल या व्हाट्सएप सन्देश की मदद से तो यह काम किया जा सकता है। ईद वाले अपनापन के तरीके से सभी को अपना मानकर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पैगाम पहुंचाएं कि यह वैक्सीन लेना इस समय की सबसे बड़ी जरूरत है। तमाम सोशल मीडिया ग्रुप्स (Social Media Groups) पर सामूहिक प्रार्थना की तरह लोगों से वैक्सीनेशन को सफल बनाने की गुजारिश करें। उन के मन और दिमाग में इस रोशनी के संचरण की कोशिश करें कि कोरोना की तीसरी लहर से पहले सभी पात्र लोगों के लिए वैक्सीन लेना उनके साथ-साथ ही बाकी सभी की जिंदगी की सुरक्षा के लिए कितनी जरूरी हो गयी है।
हमनें हमारी अपनी ही आपराधिक किस्म की लापरवाही का दंश झेला है। कोविड-19 (Covid-19) की पहली लहर ज़रा कमजोर पड़ते ही हम बेलगाम हो गए। हमें मास्क से एलर्जी हो गयी। सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) हमें खलने लगी। कुल मिलाकर हमें हर वो बात फिर से अच्छी लगने लगी, जो वास्तव में कोरोना के लिए भी प्रिय है। उसके फैलने में सबसे अधिक मददगार है। नतीजा यह कि करीब दो महीने हमने अपने आसपास मौत का तांडव देखा। अनगिनत लोगों की तिल-तिल होती मौत देखी। सामूहिक चिताओं और कब्रों के खौफनाक मंजर देखे। लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (Liquid Medical Oxygen) सहित दवाओं और इंजेक्शन की कमी से होने वाले चीत्कार को सुना। अपनों को खोया। हमें सोशल मीडिया अकाउंट पर जाने में दहशत होने लगी कि उसे खोलते ही न जाने एक बार फिर कितनी अकाल मौतों की खबर वहां हमारा इन्तजार कर रही होगी। हम कसमसा और सिसक कर रह गए, लेकिन अपने किसी बहुत प्रिय परिजन के अंतिम संस्कार तो दूर, उसके आख़िरी मर्तबा दर्शन तक के लिए जा नहीं सके। हमने इंसानी मौतों को ‘गीले कचरे और सूखे कचरे’ जैसे दुखद वर्गीकरण में पाया। किसी की मृत्यु की सूचना के साथ ही मानो किसी डिस्क्लेमर की तरह यह लिखना पड़ गया कि वह मृत्यु कोरोना से नहीं हुई है। सोचिए कि जिस देश में अपरिचित के शव को भी देखकर उसे प्रणाम करने की रवायत है, उसी देश में कोरोना के खौफ ने शवों के लिए घृणा का भाव पनपा दिया।
यह सब इसलिए हुआ कि हम और आप उन गुनहगारों में शामिल रहे जो सीधे या किसी अन्य तरीके से कोरोना के खिलाफ जरूरी उपायों की अवहेलना करते रहे। या तो खुद हम मास्क सहित सोशल डिस्टेंसिंग से दूरी में अपनी शान समझते रहे और या फिर ऐसा आचरण करने वाले किसी और को रोकना तो दूर, टोकने तक की हमने जहमत नहीं उठायी। तो ऐसी गलतियों के प्रायश्चित का एक मौक़ा मिला है। तीन दिन के वैक्सीनेशन अभियान के प्रचार-प्रसार और जागरूकता के लिए किसी वॉलेंटियर की तरह खुद को समर्पित कर दें। याद रखिए कि कोरोना की तीसरी लहर (Third Wave of Corona) किसी भी समय आने का अंदेशा लगातार जताया जा रहा है। इसके बावजूद हम असुरक्षित भीड़ के खौफनाक और शर्मनाक दृश्य एक बार फिर अपने आसपास देख रहे हैं। इस सबके विरुद्ध अपने-अपने स्तर पर अलख जताइए। कोरोना का टीका लगाने के लिए लोगों को प्रेरित करिये। ये आज के दौर की एक ऐसी जरूरत है, जो हम सभी के सहयोग के बिना पूरी नहीं हो सकती। तो आइये, सभी मिलकर ‘जागरूकता पर्व मनाएं, मिलकर कोरोना को हराएं।’