राजधानी भोपाल के बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि हमारा साफ़ा हमारी संस्कृति का प्रतीक है। मध्य प्रदेश में डॉक्टर की पढ़ाई राष्ट्र भाषा में कराएंगे।
शिक्षा ही मानवता को विकसित करती है। विश्वविद्यालय की शोभाकुलपति की जगह कुलगुरु बढ़ा रहे हैं। रोजगार परक कोर्स प्रदेश के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में शुरू हो रहे हैं। झाबुआ में भी मेडिकल कॉलेज तैयार हो रहा है।
कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेशन सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल मंगु भाई पटेल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार कार्यक्रम में शामिल हैं। इस दौरान कुल 76 छात्रों को पीएचडी की डिग्री दी गई। अनेक विषयों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 26 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल भी प्रदान किया गया। इनमें से 21 मैडल मेरिट के आधार पर दिए गए।
इस अवसर पर राज्यपाल एवं कुलाधिपति मंगुभाई पटेल ने कहा कि विद्यार्थी अपने माता-पिता और गुरूजनों के योगदान के प्रति हमेशा कृतज्ञ रहें। सफलता के बाद भी उनका हमेशा सम्मान करें। दीक्षांत शपथ का प्रतिदिन मनन करें और जीवन भर उसका अनुसरण भी करें। राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नए, डिजिटल और “विकसित भारत” के सपने को साकार करने में विश्वविद्यालयों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। दीक्षांत, वह अवसर है जब शैक्षणिक यात्रा की पूर्णता के साथ, समाज और राष्ट्र की सेवा यात्रा का शुभारंभ होता है। यह केवल डिग्री प्राप्त करने का उत्सव नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के वर्षों की मेहनत, अनुशासन और गुरुजनों के सफल मार्गदर्शन का प्रतिफल है।
मप्र में पढ़ाई जाएगी दूसरे राज्यों की भाषा
उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि मध्य प्रदेश में हायर एजुकेशन की उत्तर पुस्तिकाओं का डिजिटिलाइजेशन किया जाएगा। कॉपी जांचने के दौरान गड़बड़ी रोकने की कोशिश गई है। महाराष्ट्र और दक्षिण में भाषा विवाद के बीच मध्य प्रदेश सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। प्रदेश के विश्वविद्यालयों में अन्य राज्यों की भाषा भी पढाई जाएगी।
उन्होंने कहा कि उत्तर पुस्तिकाओं का डिजिटिलाइजेशन किया जाएगा। कॉपियों की स्क्रीनिंग कर जांचने वाले के पास जाएगी। मूल कापियों को विश्वविद्यालय में ही रखा जाएगा। कॉपियों जांचने के दौरान कोई गड़बड़ी नही होगी। शंका होने पर डिजिटल कॉपी स्टूडेंट्स को दी जाएगी। ताकि किसी तरह की गड़बड़ी की आशंका न रहे। पूरी पारदर्शिता के साथ कॉपियो का मूल्यांकन होगा। एक विश्वविद्यालय एक या दो भारतीय भाषा को अपने यहां चलाएंगे। इसके लिये क्रेडिट भी दिया जाएगा।
उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि नए शिक्षण व्यवस्था में टीम क्रेडिट का सिस्टम है। राज्य के बाहर की भाषा जो स्टूडेंट्स सीखना चाहेगा उसे अतिरिक्त क्रेडिट दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारे प्रदेश के बच्चा जब तमिलनाडु में जाए तो उनसे संवाद कर सके, व्यवसाय के लिए कहीं जाए तो कनाडा में बात कर सके, केरल में मलयालम से बात कर सके, आंध्र में तेलुगु में बात कर सके, महाराष्ट्र जाए तो मराठी में बात कर सके।
ऐसे सभी राज्यों की भाषाओं को शामिल किया जाएगा। मध्य प्रदेश ऐसा राज्य होगा कि सभी भाषाओं को हिंदी भाषा के साथ हम सम्मान दे रहे हैं। शिक्षाविद यह पैटर्न तैयार कर रहे हैं अगले सत्र से यह व्यवस्था लागू हो जाएगी।