पटना। पटना के एक बिल्डर से रंगदारी मांगने और जान से मारने की धमकी देने के गंभीर आरोप में फंसे आरजेडी विधायक रीतलाल यादव ने अपने सहयोगगियों के साथ कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। बताया जा रहा है कि आरजेडी विधायक की तलाश में पुलिस पिछले पांच दिनों में उनके 10 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी कर रही थी। लेकिन वह पुलिस के हाथ नहीं लगे। अब उन्होंने खुद अपने सहयोगियों चिक्कू यादव, पिंकू यादव और श्रवण यादव के साथ दानापुर कोर्ट में आत्मसमर्पण (सरेंडर) किया। खास बात यह है कि यादव ने ऐसे समय पर आत्मसमर्पण किया है जब आज ही पटना में महागठबंधन की बैठक है। इसको लेकर एनडीए के नेता लगातार महागठबंधन पर सवाल उठा रहे थे।
बिल्डर से रंगदारी मांगने और जान से मरने की धमकी देने के मामले में पिछले दिनों पुलिस ने पटना में उनके ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की थी। 11 अप्रैल को बिहार पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स की अलग-अलग टीम ने 500 पुलिसकर्मियों के साथ राजद विधायक रीतलाल यादव के पटना के कोथवा स्थित आवास, कार्यालय, नौबतपुर, गोला रोड अभियंता नगर, बिहटा समेत 11 जगहों पर छापेमारी की थी। यह छापेमारी पटना के सिटी एसपी के नेतृत्व में की गई। उन पर दर्जनों आपराधिक मामले चल रहे हैं। इस विशेष मामले में उन पर 33 लाख रुपये की रंगदारी मांगने का आरोप है।
छापेमारी में यह सब हुआ था बरामद
छापेमारी के दौरान पुलिस ने 10 लाख रुपये से अधिक नकदी, 77 लाख रुपये के चेक, छह खाली चेक, संपत्ति की खरीद और बिक्री से संबंधित 14 दस्तावेज और 17 चेक बुक जब्त किए गए। यह छापेमारी एक स्थानीय बिल्डर की शिकायत के आधार पर की गई एफआईआर के बाद की गई थी, जिसमें यादव और अन्य पांच लोगों को आरोपी बताया गया था। पुलिस द्वारा की गई छापेमारी पर प्रतिक्रिया देते हुए रीतलाल ने अधिकारियों पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया और कहा कि ये कार्रवाई राजनीतिक द्वेषपूर्ण भावना और ओछी मानसिकता का परिचायक है।
जानिए, क्यों पुलिस ने छापेमारी की थी
पुलिस मुख्यालय से एक प्रेस रिलीज जारी किया गया था। इसमें बताया गया कि कि एक बिल्डर के द्वारा खगौल थाना में एक लिखित आवेदन दिया गया है कि ग्राम कोथवा में उनके द्वारा अपार्टमेन्ट निर्माण का कार्य कराया जा रहा है। इसको लेकर विधायक रीतलाल यादव तथा उनके सहयोगियों ने उनसे रंगदारी की मांग की है। आवेदन में यह भी लिखा है कि साथ में यह धमकी भी दी गई है, जिसके तहत यह कहा गया है कि रुपया नहीं देने पर जान से मारने की धमकी दी गई है।
भाजपा नेता की हत्या के बाद चर्चा में आए
बताया जाता है कि रीतलाल यादव का नाम विवादों और आपराधिक मामलों से जुड़ा रहा है। वर्ष 2003 में भाजपा नेता सत्यनारायण सिन्हा की हत्या के मामले में भी उनका नाम चर्चा में आया था। बाद में सत्यनारायण सिन्हा की पत्नी आशा सिन्हा ने भाजपा से चुनाव लड़ा और विधायक बनीं। फिर 2016 में जेल में रहते हुए भी रीतलाल यादव भी एमएलसी का चुनाव लड़े थे, जिसमें उनकी जीत हुई थी। फिर 2020 में राजद ने उनको टिकट पर दानापुर से विधानसभा चुनाव लड़ाया जिसमें उन्होंने आशा सिन्हा को हराकर विधायक बने।