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जस्टिस बीआर गवई बने देश के 52वें CJI, महामहिम ने दिलाई शपथ, 6 महीने के कार्यकाल में कई अहम मामलों की करेंगे सुनवाई

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नई दिल्ली। जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने बुधवार को सीजेआई का पद संभाल लिया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मु ने गवई को 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई। उनका कार्यकाल 23 नवंबर तक रहेगा। इस दौरान सीजेआई गवई कई अहम मामलों की सुनवाई करेंगे। वहीं, जस्टिस बीआर गवई बौद्ध धर्म में आस्था रखने वाले पहले और अनुसूचित जाति से आए दूसरे मुख्य न्यायाधीश हैं। बता दें कि बीते माह की 30 तारीख को कानून मंत्रालय ने जस्टिस गवई की भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति की अधिसूचना जारी की थी। 16 अप्रैल को सीजेआई खन्ना ने केंद्र सरकार से उनके नाम की सिफारिश की थी। बीआर गवई बौद्ध धर्म में आस्था रखने वाले पहले और अनुसूचित जाति से आए दूसरे मुख्य न्यायाधीश हैं।

सीजेआई बीआर गवई ने राष्ट्रपति भवन में शथप लेने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और अन्य गणमान्य लोगों का अभिवादन स्वीकार किया। गौरतलब है कि जस्टिस गवई की चीफ जस्टिस के पद पर नियुक्ति ऐतिहासिक और प्रतीकात्मक दोनों है यह न्यायपालिका द्वारा पोषित समावेशिता और संवैधानिक नैतिकता के मूल्यों की प्रतीक है जस्टिस गवई 23 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्त होने की तिथि यानी छह महीने से अधिक अवधि तक मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहेंगे उनके नेतृत्व में न्यायपालिका से न केवल उनके फैसलों की उम्मीद होगी, बल्कि उनके द्वारा बनाए गए विरासत की भी सभी को प्रतीक्षा रहेगी

ऐसा रहा करियर
16 मार्च, 1985 को वकालत शुरू करने वाले न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के स्थायी वकील के रूप में कार्य कर चुके हैं। उन्होंने अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक के रूप में सेवा दी। 17 जनवरी, 2000 को उन्हें नागपुर खंडपीठ के लिए सरकारी वकील और लोक अभियोजक नियुक्त किया गया। 14 नवंबर, 2003 को वे बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश बने और 12 नवंबर, 2005 को स्थायी न्यायाधीश नियुक्त हुए। 24 मई, 2019 को उन्हें सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाया गया। न्यायमूर्ति गवई सर्वोच्च न्यायालय में कई ऐसी संविधान पीठों में शामिल रहे, जिनके फैसलों का महत्वपूर्ण प्रभाव रहा। दिसंबर 2023 में, उन्होंने पांच जजों की संविधान पीठ में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को सर्वसम्मति से बरकरार रखा।

पिता रहे हैं बिहार और केरल के पूर्व राज्यपाल
जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। जस्टिस गवई के पिता दिवंगत आरएस गवई भी एक मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता और बिहार और केरल के पूर्व राज्यपाल रहे। जस्टिस गवई देश के दूसरे अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले मुख्य न्यायाधीश होंगे। उनसे पहले जस्टिस केजी बालाकृष्णन साल 2010 में यह उपलब्धि हासिल कर चुके हैं।

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