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इंदौर कलेक्टर ने संदिग्ध रजिस्ट्रीयों के संबंध में एफआईआर कराने के दिये आदेश

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इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने पंजीयन विभाग के कलेक्टर कार्यालय स्थित रिकार्ड रूम में संदिग्ध रजिस्ट्रीयों के संबंध में एफआईआर कराने के आदेश दिये हैं।

वरिष्ठ जिला पंजीयक डॉ. अमरेश नायडू ने बताया कि पंजीयन विभाग में आमजन के द्वारा करवाई गई रजिस्ट्रीयों को रिकार्ड में सुरक्षित रखा जाता है, जिसमें आमजन की पूरी जीवनभर की कमाई लगी होती है।

पंजीयन विभाग के मोती तबेला कलेक्टर कार्यालय स्थित रिकार्ड रूम के संबंध में कलेक्टर को विगत कई माहों से रिकार्ड के संबंध में गंभीर शिकायतें मिल रही थी। उक्त अभिलेखागार के संबंध में ना केवल कतिपय रजिस्ट्रीयों में हेर-फेर की शिकायतें लगातार मिल रही थी, बल्कि इस तरह की शिकायतें भी मिल रही थी कि, लेनदेन कर इस तरह की गंभीर अनियमितताएं की जा रही है। विगत दिनों इसी आरोप में रिकार्ड रूम में संलग्न श्री मर्दन रावत को निलंबित भी किया जा चुका है।

बार-बार गंभीर शिकायतों को ध्यान में रखते हुए कलेक्टर श्री सिंह ने विगत दिनों पंजीयन विभाग के अधिकारियों की एक जाँच समिति गठित की गई थी, जॉच समिति ने प्राप्त शिकायतों एवं नकल के आवेदनों के आधार पर ऐसे लगभग 20 दस्तावेज संदिग्ध पाए हैं। उक्त दस्तावेजों में से कुछ दस्तावेजों के संबंध में पूर्व में भी एफआईआर की जा चुकी है तथा और अन्य दस्तावेज में भी गडबडी पाई गई।

ऐसे दस्तावेज जिनमें की पूर्व से कोई एफआईआर पंजीबद्ध नहीं है, के संबंध में कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा थाना पंढरीनाथ इन्दौर में तीन दिवसों में एफआईआर कराने हेतु वरिष्ठ जिला पंजीयक, इन्दौर-1 के नियंत्रणाधीन स्थित जिला अभिलेखागार के वरिष्ठ उप पंजीयक प्रदीप निगम को निर्देशित किया गया है। जाँच समिति की रिपोर्ट भी वरिष्ठ उप पंजीयक को कार्यवाही हेतु सौंप दी गई है।

यह पहली बार होगा कि कलेक्टर के निर्देशानुसार एक साथ 20 दस्तावेजों के संबंध में एफआईआर कराई जाएगी। उम्मीद है कि कलेक्टर श्री सिंह के इस निर्णय से कई चौंकाने वाले परिणाम आएंगे।

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