मध्यप्रदेश विधानसभा में सोमवार को भोपाल और इंदौर मेट्रोपोलिटन सिटी के विकास के लिए मप्र महानगर क्षेत्र नियोजन एवं विकास विधेयक 2025 पेश किया गया। भोपाल रीजन में भोपाल, सीहोर, रायेसन, विदिशा और राजगढ़ तो इंदौर, उज्जैन, देवास और धार को मिलाकर इंदौर मेट्रोपॉलिटन बनाएंगे।
इसमें मेट्रोपॉलिटन एरिया बनाने के लिए महानगर क्षेत्र और महानगर नियोजन समिति, मेट्रोपॉलिटन एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी, इसकी कार्यकारी समिति, महानगर विकास एवं विशेष योजना और एकीकृत महानगर परिवहन प्राधिकरण के गठन संबंधी प्रावधान किए गए हैं।
इस अथॉरिटी के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे। तीन विभाग नगरीय विकास, पंचायत एवं ग्रामीण विकास और राजस्व के मंत्री उपाध्यक्ष होंगे। मुख्य सचिव सदस्य होंगे। अथॉरिटी के काम का क्रियान्वयन करने कार्यकारी समिति बनेगी। इसके अध्यक्ष महानगर आयुक्त होंगे।
मेट्रोपॉलिटन अथॉरिटी के गठन के बाद विकास अनुमति देने के अधिकार उसी के पास होंगे। एरिया डेवलपमेंट प्लान और टीडीएस के क्षेत्र में विकास अनुज्ञा भी अथॉरिटी देगी। शासकीय विभागों को भी निर्माण करना होगा तो अथॉरिटी को सूचना देनी होगी।
आपत्ति होने पर अथॉरिटी इसे वापस भी कर सकेगी। निजी प्रोजेक्ट के लिए भी विकास अनुज्ञा अथॉरिटी के महानगर आयुक्त देंगे। विकास अनुज्ञा न मिलने पर अपील का प्रावधान है। स्थानीय स्तर पर भवन अनुज्ञा स्थानीय निकाय जारी करते रहेंगे।
यह काम करेगी मेट्रोपॉलिटन अथॉरिटी
प्लान का ड्राफ्ट बनाने में प्लानिंग कमेटी की मदद।
विकास प्राधिकरणों के क्षेत्र को छोड़ शेष क्षेत्र में नियोजन-विकास।
जो प्रोजेक्ट एक से अधिक प्राधिकरण की सीमा में विकसित किया जाना है, उसका विकास।
परियोजनाओं और योजनाओं के समन्वय व क्रियान्वयन।
मेट्रोपॉलिटन विका निधि एवं भूमि बैंक का प्रबंधन।
शासन से निर्देशित परियोजना, योजना या क्षेत्र विकास योजना का नियोजन-क्रियान्वयन।
मेट्रोपॉलिटन एरिया डेवलपमेंट प्लान कम से कम 15 वर्ष के लिए बनेगा। इसमें मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में आर्थिक विकास की नीति तय होगी। सभी संसाधनों के उचित उपयोग की रूपरेखा रहेगी। क्षेत्र में बसाहट, कृषि भूमि, वन, बंजर भूमि, जल निकाय, यातायात, औद्योगिक क्षेत्र इत्यादि उपयोगों को व्यापक रूप से दर्शाया जाएगा। इतना ही नहीं, इन्फ्रास्ट्रक्चर, पर्यटन, जल ग्रहण, जल आपूर्ति, सार्वजनिक सुविधाएं और सेवाओं के साथ यातायात, सार्वजनिक परिवहन, औद्योगिक विकास, वन संरक्षण, बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए नीति तय करेगी।
अथॉरिटी प्रारूप प्लान तैयार कर महानगर नियोजन समिति की स्वीकृति के बाद आपत्ति और सुझाव आमंत्रित करेगा।
आपत्ति, सुझाव की सुनवाई के लिए समिति बनेगी। यही निराकरण करेगी।
प्राधिकरण अपनी रिपोर्ट समेत सुनवाई के बाद समिति की अनुशंसा के साथ प्रारूप प्लान अनुमोदन के लिए शासन को भेजेगा।
प्लान पर अंतिम निर्णय राज्य शासन का होगा। अनुमोदन के बाद ही इस पर काम होगा।
सरकार अधिनियम के प्रशासकीय कार्यों के लिए 200 करोड़ रुपए की आरंभिक पूंजी से महानगर विकास निधि बनाएगी। विकास प्रभार और शुल्क आदि इसी निधि में जमा कराया जाएगा।
महानगरीय आयुक्त जांच, सर्वे आदि में अधिकार क्षेत्र के किसी भी भवन-भूमि पर प्रवेश के लिए अधिकृत कर सकता है।
यदि विकास अनुज्ञा के आवेदन पर महानगर आयुक्त 60 दिन तक निर्णय नहीं करते हैं तो यह स्वीकृत मानी जाएगी।
मेट्रोपॉलिटन एरिया के लिए एकीकृत परिवहन प्राधिकरण का गठन सरकार करेगी। यह परिवहन और यातायात के संबंध में विभिन्न विभागों के किए जाने वाले उपायों का प्रभावी क्रियान्वयन और समन्वय करेगा।
मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में अथॉरिटी के बिना अनुमोदन, विकास अनुमति की शर्तों का उल्लंघन या अनुमति में तय सुविधाएं न देने पर महानगर विकास प्राधिकारी तय समय में सुविधा उपलब्ध कराने के लिए नोटिस जारी करेंगे। ऐसा नहीं होने पर मेट्रोपॉलिटन अथॉरिटी खुद विकास या सुविधा उपलब्ध कराएगी। इसमें हुए पूरे खर्च अथॉरिटी बतौर दंड वसूलेगी।
मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में विकास, मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट एंड इन्वेस्टमेंट प्लान के अनुसार होगा। प्लान व स्कीम बना कर मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र विकास प्राधिकार कार्य करेगा। प्राधिकरण अनुमोदित करेगा।