मध्यप्रदेश अब पर्यटकों को देने जा रहा है ऐसा सफर, जिसकी प्रतीक्षा लंबे समय से थी। जंगल की रोमांचक रातें, नदी और बैकवाटर्स की शांति और आसमान को छूती साहसिक गतिविधियां, ये सब मिलकर जल्द शुरू करने जा रहे हैं पर्यटन का नया अध्याय।
मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड, ईको-टूरिज्म और साहसिक पर्यटन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के उद्देश्य से इस वर्ष दो महत्वपूर्ण आयोजनों का शुभारंभ करने जा रहा है। “गांधीसागर फॉरेस्ट रिट्रीट” का चतुर्थ संस्करण 12 सितंबर 2025 से मंदसौर जिले के गांधीसागर डैम पर और “कूनो फॉरेस्ट रिट्रीट” का द्वितीय संस्करण 5 अक्टूबर 2025 से श्योपुर जिले के कूनो राष्ट्रीय उद्यान के समीप आयोजित होगा।
पर्यटन, संस्कृति और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र सिंह लोधी ने कहा कि गांधीसागर और कूनो जैसे फॉरेस्ट रिट्रीट केवल पर्यटन आयोजन नहीं हैं, बल्कि ये हमारे प्रदेश की प्राकृतिक धरोहर, सांस्कृतिक समृद्धि और पर्यावरण संरक्षण को एक साथ जोड़ने का प्रयास हैं। गांधीसागर और कूनो ईको-टूरिज्म व साहसिक पर्यटन के केंद्र के रूप में उभरे हैं।
गांधीसागर फॉरेस्ट रिट्रीट का उद्देश्य प्रदेश को एडवेंचर टूरिज्म के मानचित्र पर विशेष पहचान दिलाना है, वहीं कूनो फॉरेस्ट रिट्रीट हमारे लिए वेलनेस और वन्यजीव पर्यटन का हब है। इन आयोजनों से न केवल देश-विदेश से पर्यटक आकर्षित होंगे बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
अपर मुख्य सचिव पर्यटन, संस्कृति, गृह और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व तथा प्रबंध संचालक, मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड शिव शेखर शुक्ला ने कहा गांधीसागर और कूनो फॉरेस्ट रिट्रीट, अनुभव-आधारित पर्यटन के उदाहरण हैं। इन आयोजनों में आने वाले मेहमान उच्च स्तरीय और सर्व सुविधा युक्त ग्लेम्पिंग का आनंद उठाएंगे और जल, थल एवं वायु आधारित साहसिक गतिविधियों जैसे पैरासेलिंग, पैरामोटरिंग, जेट स्की, हॉट एयर बैलूनिंग, जंगल सफारी, नाइट वॉक और स्टार गेज़िंग का रोमांचक अनुभव प्राप्त करेंगे।
ऑल सीजन टेंट सिटी के साथ ही बोट सफारी, बोट स्पा, योग एवं वेलनेस- सत्र, स्थानीय व्यंजन, हस्तशिल्प प्रदर्शन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां पर्यटकों को प्रदेश की संस्कृति और जीवन शैली से निकटता से जोड़ेंगी। इन आयोजनों को हमने इस तरह से आयोजित किया है कि पर्यटन के साथ पर्यावरण संरक्षण, स्थानीय समुदायों की भागीदारी और सतत विकास को प्राथमिकता दी जाए।
गांधीसागर फॉरेस्ट रिट्रीट एंड फेस्टिवल 12 सितंबर से
चंबल नदी पर बने गांधीसागर डैम के मनोहारी बैकवाटर क्षेत्र को एडवेंचर हब बनाने की दिशा में मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा यह आयोजन शुरू किया गया था, जो अब देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है।
मुख्य आकर्षण: प्राकृतिक सौंदर्य से घिरी ग्लेम्पिंग साइट (50 लग्जरी ऑल सीजन टेंट सिटी) जल, थल और वायु आधारित साहसिक गतिविधियां पैरासेलिंग, पैरामोटरिंग, जेट स्की, ज़ोरबिंग आदि बोट सफारी एवं बोट स्पा जंगल सफारी स्थानीय व्यंजन, इनडोर स्पोर्ट्स एवं मनोरंजन सुविधाएं प्रकृति संरक्षण और स्थानीय हस्तशिल्प पर केंद्रित कार्यशालाएं बटरफ्लाई गार्डन रॉक गार्डन।
उद्देश्य एवं लाभ : मध्यप्रदेश में पर्यटन को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाने के साथ ही यह पहल क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करेगी और स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। इन आयोजनों के माध्यम से नेचर एवं एडवेंचर टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा, जिससे रोमांचक गतिविधियों का अनुभव करने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी। साथ ही, स्थानीय संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण के साथ नई पीढ़ी में अपनी धरोहर और प्राकृतिक संपदा के प्रति जागरूकता भी विकसित होगी।
कूनो फॉरेस्ट रिट्रीट एंड फेस्टिवल 5 अक्टूबर
चीतों की वापसी के ऐतिहासिक क्षण का साक्षी रहा कूनो राष्ट्रीय उद्यान अब इको-टूरिज्म और सांस्कृतिक धरोहर का संगम प्रस्तुत करने जा रहा है। यह आयोजन पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक भागीदारी के साथ पर्यटन को नई पहचान देगा।
मुख्य आकर्षण : जल, थल और वायु आधारित साहसिक गतिविधियां, कला, शिल्प, लोक संगीत और नृत्य का आयोजन, प्राकृतिक सौंदर्य के बीच ग्लेम्पिंग साइट (25 लग्जरी ऑल सीजन टेंट सिटी), रोमांचक जंगल सफारी एवं नाइट वॉक, योग, ध्यान एवं वेलनेस सत्र, विलेज टूर और विभिन्न कार्यशालाएं, हॉट एयर बैलूनिंग, स्टार गेजिंग का अनुभव एवं चीता इंटरप्रिटेशन सेंटर आदि हैं।
उद्देश्य एवं लाभ : मध्यप्रदेश में आयोजित होने वाला कूनो फॉरेस्ट रिट्रीट प्रदेश के पर्यटन को नई दिशा देने वाला है। यह आयोजन वन्यजीवन, इको-टूरिज्म और साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देता है और चीता पुनर्वास जैसे ऐतिहासिक प्रयास को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करता है। इसके माध्यम से स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार और आजीविका के नए अवसर निर्मित होंगे। साथ ही यह पहल पर्यावरण संरक्षण और सतत पर्यटन विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी, जो प्रदेश को अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर विशेष पहचान दिलाएगी।