नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर, गोवा के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार को निधन हो गया। उन्होंने 77 वर्ष की उम्र में दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से वह लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे। उनके निधन की जानकारी उनके आधिकारिक ट्विटर हैंडल से साझा की गई। एक्स पोस्ट में लिखा गया, ष्पूर्व गवर्नर चैधरी सत्यपाल सिंह मलिक नहीं रहे।
जानकारी के अनुसार, सत्यपाल मलिक पिछले कई महीनों से विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। आरएलएम अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया था, जहां चिकित्सकों की देखरेख में उनका इलाज चल रहा था। लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद मंगलवार को उनका निधन हो गया। सत्यपाल मलिक के निधन की खबर फैलते ही राजनीतिक और सामाजिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई। कई प्रमुख नेताओं, सामाजिक कार्यकतार्ओं और आम नागरिकों ने सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके योगदान को याद किया।
हरियाणा के पूर्व डिप्टी सीएम ने निधन पर जताया दुख
हरियाणा के पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चैटाला ने सत्यपाल मलिक के निधन पर दुख जताते हुए श्एक्सश् पर लिखा, ष्पूर्व राज्यपाल एवं वरिष्ठ जननेता सत्यपाल मलिक के निधन का समाचार अत्यंत दु:खद है। वे हमेशा जनहित की बात निर्भीकता से रखते रहे। जननायक जनता पार्टी उनकी बेबाक राजनीति, किसान हितैषी सोच और सार्वजनिक जीवन में सादगी को सादर नमन करती है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।ष्
2018 से अक्टूबर 2019 तक जम्मू कश्मीर के रहे राज्यपाल
सत्यपाल मलिक अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य के अंतिम राज्यपाल रहे। उनके कार्यकाल के दौरान ही 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया था और जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करके उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किया गया था। संयोग की बात है कि आज ही इस फैसले की छठी वर्षगांठ है और इसी दिन सत्यपाल मलिक ने अंतिम सांस ली।
मलिक को गोवा का 18वां राज्यपाल किया गया था
वह अक्टूबर 2017 से अगस्त 2018 तक बिहार के राज्यपाल रहे। उन्हें 21 मार्च 2018 से 28 मई 2018 तक ओडिशा के राज्यपाल के रूप में कार्य करने का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया। जम्मू-कश्मीर के दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित होने के बाद सत्यपाल मलिक को गोवा का 18वां राज्यपाल नियुक्त किया गया। उन्होंने अक्टूबर 2022 तक मेघालय के 21वें राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया।