मध्य प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में मंगलवार को एक विशेष दृश्य देखने को मिला, जब सदन में संस्कृत भाषा की गूंज सुनाई दी। भाजपा विधायक अभिलाष पांडे ने संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार और संरक्षण से जुड़ा ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पूरी तरह संस्कृत में प्रस्तुत किया।
इस पहल ने सभी सदस्यों का ध्यान आकर्षित किया। विधायक के संस्कृत में सवाल पर प्रतिक्रिया देते हुए स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने भी संस्कृत में जवाब दिया और फिर उसी का हिंदी अनुवाद सदन को समझाने के लिए प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार संस्कृत के विकास और संवर्धन के लिए लगातार कार्य कर रही है।
उन्होंने जानकारी दी कि प्रदेश में महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के माध्यम से 271 संस्कृत माध्यम के विद्यालय संचालित हो रहे हैं। इनमें कक्षा 10वीं और 12वीं के समकक्ष पूर्व-मध्यमा और उत्तर-मध्यमा स्तर की परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं। इसके अलावा, भोपाल में संस्कृत कन्या आवासीय विद्यालय, तथा दतिया, सिरोंज, डिंडोरी और रतलाम में चार आदर्श आवासीय संस्कृत विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं।
मंत्री ने यह भी बताया कि त्रिभाषा फॉर्मूले के तहत सभी सामान्य स्कूलों में कक्षा 10वीं तक संस्कृत पढ़ाई जाती है। हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत तीनों भाषाओं के लिए परीक्षाओं में समान पूर्णांक निर्धारित हैं। इस चर्चा के दौरान वरिष्ठ भाजपा नेता गोपाल भार्गव ने संस्कृत स्कूलों की दशा सुधारने के लिए एक विशेष समिति बनाने का सुझाव दिया, जिसका कांग्रेस विधायकों ने भी समर्थन किया।