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सावन का पहला दिनः धार्मिक नगरी से लेकर शिव नगरी तक भक्तों का रेला, तीर्थ नगरी में भी उमडी श्रद्धालुओं की भीड

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उज्जैन/वाराणसी। भगवान भोलेनाथ के सबसे प्रिय महीने सावन मास की शुरुआत आज शुक्रवार से हो गई है। इसके साथ शिव मंदिरों में भक्तों रेला उमड पडा है। मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन, तीर्थ नगरी ओंकारेश्वर से लेकर काशी विश्वनाथ धाम तक शिव भक्तों का सैलाब देखने को मिला रहा है। अल सुबह से ही भक्त शिव मंदिरों में पहुंचकर भगवान भोलेनाथ की की आराधना में लीन दिखाई दिए और मंदिर परिसर बम-बम भोले के जयकारों से गूंज उठे।

विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर की बात करें तो श्रावण मास के पहले मंदिर के कपाट खोले गए। पट खुलते ही गर्भ गृह भोलेनाथ के जयकारों से गूंज उठा। भगवान महाकाल का सबसे पहले जल से अभिषेक किया गया। इसके बाद दूध, दही, घी, शहद, फलों के रस से बने पंचामृत से अभिषेक पूजन किया। इसके बाद बाबा महाकाल का अद्भुत श्रृंगार किया गया। भस्म आरती के बाद, बाबा को राजा के रूप में सजाया गया, जिसमें शेषनाग का रजत मुकुट, रजत मुंडमाल और रुद्राक्ष की माला शामिल थी। इसके बाद, सुगंधित फूलों से बनी माला पहनाई गई और विशेष आरती की गई। बाबा महाकाल का दर्शन पाने सावन के पहले ही दिन भक्तों का सैलाब दिखाई दिया। सुबह से अब तक 1.5 लाख से अधिक भक्त भोलेनाथ के दर्शन कर चुके हैं। शाम तक यह आंकडा 5 लाख से उपर पहुंचने की उम्मीद है।

ओंकारेश्वर में की गई विशेष आरती
इधर मध्य प्रदेश के खंडवा जिले की धार्मिक तीर्थ नगरी ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर में भी आज से शुरू हुए श्रावण माह को लेकर विशेष तैयारी की गई हैं। यहां इस दिन सुबह से ही शिव भक्त अपने भोले बाबा को प्रसन्न करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करते दिखाई दिए। नर्मदा स्नान के बाद ये भक्त भोले बाबा का ध्यान करते भी दिखाई दिए।पवित्र तीर्थ नगरी पहुंचे श्रद्धालुओं ने पहले मां नर्मदा में स्नान कर मन को पवित्र किया। जिसके बाद मंदिर पहुंचकर भोले बाबा के दर्शन किए। माना जा रहा है कि सावन माह के प्रथम दिवस ही लगभग 50 हजार से अधिक श्रद्धालु यहां पहुंच कर बाबा ओंकार के दर्शन का लाभ लेंगे।

ओंकार पर्वत को माना जाता है शिव-शक्ति का शयन स्थान
द्वादश ज्योतिर्लिंग स्रोत के अनुसार बारह ज्योतिर्लिंगों में ओंकारेश्वर तथा ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग का संयुक्त रूप से चतुर्थ स्थान है। मां नर्मदा से घिरे ओंकार के पर्वत पर बना यह अति प्राचीन मंदिर भगवान शिव तथा माता पार्वती का शयन स्थान माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव दिनभर अखिल ब्रह्मांड में विचरण करते हैं, आवागमन करते हैं। किंतु वे शयन तीर्थ नगरी ओमकारेश्वर स्थित ओंकार पर्वत पर ही करते हैं। यही कारण है कि यहां भगवान ओंकारेश्वर की शयन आरती होती है।

श्री काशी विश्वनाथ धाम में लगा भक्तों का रेला
सावन के पहले दिन शुक्रवार को श्री काशी विश्वनाथ धाम में भक्तों का रेला लग गया। मंगला आरती के साथ ही बाबा का दर्शन शुरू हुआ तो हर-हर महादेव के जयकारे से पूरा धाम गूंज उठा। मंडलायुक्त व मंदिर के सीईओ समेत अन्य लोगों ने श्रद्धालुओं पर पुष्पवर्षा की। इस दौरान श्रद्धालु खुशी से झूम उठे। धाम परिसर में बाबा विश्वनाथ, भगवान दंडपाणि एवं उनके मध्य स्थित भगवान बैकुण्ठेश्वर के तीन शिखरों के सम्मुख श्रद्धालुओं पर पुष्पवर्षा कर शिखर आराधना के साथ-साथ भक्तों का स्वागत किया गया।

मंगला आरती का स्वागत करने यह रहे मौजूद
इसके बाद मुख्य गर्भगृह से मंदिर प्रांगण में ही विराजमान भगवान बद्रीनारायण मंदिर तक श्रद्धालुओं पर पुष्पवर्षा करते हुए हरि-हर की काशी परंपरा को आगे बढ़ाया गया। यह पुष्प दिन भर श्रद्धालुओं को मां अन्नपूर्णा के अक्षत प्रसाद के साथ सावन के पहले दिन स्वागत भेंट के रूप में दिए जाएंगे। मंगला आरती के बाद भक्तों का स्वागत करने के लिए मंदिर न्यास की कार्यपालक समिति के अध्यक्ष मंडलायुक्त एस राजलिंगम, मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण, डिप्टी कलेक्टर शम्भू शरण, तहसीलदार मिनी एल शेखर मौजूद रहे।

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