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नए पदोन्नति नियमों के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे कर्मचारी

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मध्यप्रदेश में नए पदोन्नति नियमों का विरोध करने के लिए सामान्य वर्ग, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक वर्ग के अधिकारियों-कर्मचारियों की मंत्रालय में मीटिंग हुई। मीटिंग में मंत्रालय में 26 जून गुरुवार को विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। विरोध प्रदर्शन के लिए मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग और सुरक्षा अधिकारी को नोटिस दिया गया है।

नए पदोन्नति नियमों में सामान्य वर्ग, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक वर्ग के अधिकारियों-कर्मचारियों के हितों की पूरी तरह अनदेखी किए जाने की वजह से अधिकारी-कर्मचारियों में विरोध गहराता जा रहा है। मंत्रालय के सामान्य, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्ग के अधिकारियों-कर्मचारियों की एक मीटिंग मंत्रालय में बुलाई गई।

मंत्रालय सेवा अधिकारी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष इंजीनियर सुधीर नायक और सपाक्स के प्रांतीय अध्यक्ष के एस तोमर ने कर्मचारियों को संबोधित किया। मीटिंग में नए पदोन्नति नियमों के अनारक्षित वर्ग विरोधी प्रावधानों के बारे में कर्मचारियों को बताया गया।

मीटिंग में तय हुआ कि बुधवार 25 जून को सभी कर्मचारी पदोन्नति नियमों के विरोध की टोपी पहनकर काम करेंगे। उसके बाद 26 जून गुरुवार को वल्लभ भवन के गेट नंबर-1 पर लंच टाइम में शांतिपूर्ण शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। आंदोलन के आगामी चरण उसके बाद घोषित किए जाएंगे। आंदोलन का नोटिस 24 जून 2025 को मंत्रालय में दे दिया गया है।

मंत्रालय सेवा अधिकारी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष इंजीनियर सुधीर नायक ने कहा कि 2002 के पदोन्नति नियमों के कारण अनारक्षित वर्ग की बहुत बुरी स्थिति थी। साथ-साथ भर्ती हुए आरक्षित वर्ग के लोग 2-2, 3-3 पदोन्नति लेकर पदोन्नति चैनल में उच्च पदों पर पहुंच गए जबकि उनके साथ ही उनसे अधिक अंक लाकर भर्ती हुआ अनारक्षित वर्ग का व्यक्ति प्रथम नियुक्ति के ही पद पर पड़ा हुआ है या ज्यादा से ज्यादा एकाध पदोन्नति पा सका है। कनिष्ठ कर्मचारियों के उच्च पदों पर कम समय में ही पहुंच जाने से उच्च स्तर पर प्रशासनिक दक्षता में बहुत गिरावट आई है जिसे मौखिक वार्तालाप में सभी उच्च अधिकारी स्वीकार करते हैं।

इंजीनियर सुधीर नायक ने कहा कि उम्मीद थी कि पुराने अनुभवों से सीख लेकर नए नियमों में न्यायसंगत व्यवस्था कायम की जाएगी। माननीय मुख्यमंत्री जी की मंशा भी यही थी कि किसी वर्ग के साथ अन्याय न हो और न जूनियर सीनियर के ऊपर जाए, लेकिन नए नियमों ने अनारक्षित वर्ग को निराश किया है। नए नियम, पुराने नियमों जो माननीय उच्च न्यायालय द्वारा निरस्त किए जा चुके हैं, उनकी प्रतिकृति प्रतीत हो रहे हैं। बल्कि कुछ मामलों में नए नियम पुराने नियमों से भी अधिक हानिकारक दृष्टिगत हो रहे हैं। जैसे पुराने नियमों में यह प्रावधान था कि जितने आरक्षित पदों पर आरक्षित वर्ग के लोग आ जाएंगे बाद में उतने पद समायोजित किए जाएंगे। यद्यपि इस प्रावधान के तहत समायोजन कभी नहीं हुआ परन्तु कम से कम यह प्रावधान तो था, लेकिन नए नियमों में यह प्रावधान भी नदारद है।

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