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ईडी ने अनिल अंबानी की 7500 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियां जब्त कीं

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ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के तहत रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी उनकी कंपनियों और संबंधित संस्थाओं से जुड़ी 7500 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियां जब्त की हैं। जांच एजेंसी ने 31 अक्टूबर को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत 43 संपत्तियों को जब्त करने के लिए चार अंतरिम आदेश जारी किए। इनमें मुंबई के पाली हिल स्थित पारिवारिक बंगले के अलावा उनकी कंपनियों की अन्य आवासीय और व्यावसायिक संपत्तियां भी शामिल हैं।

ईडी की कार्रवाई पर अनिल अंबानी की कंपनी की तरफ से प्रतिक्रिया भी आई। कंपनी ने कहा कि, “हम सूचित करना चाहते हैं कि कंपनी की कुछ संपत्तियां ईडी ने PMLA उल्लंघन के आरोप में अस्थायी रूप से कुर्क की हैं। रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के कारोबार, शेयरधारकों, कर्मचारियों या अन्य हितधारकों पर कोई असर नहीं होगा।” कंपनी ने आगे कहा कि अनिल अंबानी साढ़े तीन साल से अधिक समय से बोर्ड में नहीं हैं।

ईडी ने नवी मुंबई स्थित धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी का 4,462 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य का 132 एकड़ से अधिक का भूखंड जब्त किया है। दिल्ली में महाराजा रणजीत सिंह मार्ग पर रिलायंस सेंटर का एक भूखंड और रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की कई अन्य संपत्तियां, आधार प्रापर्टी कंसल्टेंसी प्राइवेट लिमिटेड, मोहनबीर हाई-टेक बिल्ड प्राइवेट लिमिटेड, गमेसा इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड, विहान43 रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड (जिसे पहले कुंजबिहारी डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जाना जाता था) और कैंपियन प्रापर्टीज लिमिटेड जैसी संपत्तियां भी जब्त की गई हैं।

 नोएडा, गाजियाबाद समेत इन शहरों की संपत्तियां जब्त

ये संपत्तियां राष्ट्रीय राजधानी, नोएडा, गाजियाबाद, मुंबई, पुणे, ठाणे, हैदराबाद, चेन्नई और आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले में स्थित हैं। मुंबई के चर्चगेट स्थित ‘नागिन महल’ भवन में कार्यालय, नोएडा में बीएचए मिलेनियम अपार्टमेंट और हैदराबाद में कैमस कैप्री अपार्टमेंट में फ्लैट भी ईडी द्वारा अस्थायी रूप से जब्त संपत्तियों में शामिल हैं।

एक बैंक से कर्ज लेकर दूसरी जगह पैसा लगाने का आरोप

ईडी की जांच से पता चला है कि एक संस्था द्वारा एक बैंक से लिए गए कर्ज का उपयोग अन्य संस्थाओं द्वारा अन्य बैंकों से लिए गए कर्ज के पुनर्भुगतान, संबंधित पक्षों को हस्तांतरण और म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए किया गया। यह ऋण स्वीकृति पत्र के नियमों और शर्तों का उल्लंघन था। विशेष रूप से आरकॉम और समूह की कंपनियों ने 13,600 करोड़ रुपये से अधिक डायवर्ट किया। 12,600 करोड़ से अधिक संबंधित पक्षों को डायवर्ट किया गया और 1,800 करोड़ एफडी/म्युचुअल फंड आदि में निवेश किया गया। कर्ज का कुछ हिस्सा भारत से बाहर भी भेजा गया।

सीबीआइ की प्राथमिकी के आधार पर जांच

ईडी ने भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 120-बी, 406 और 420 तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1989 की धारा 13(2) तथा धारा 13(1)(डी) के तहत आरकाम, अनिल अंबानी और अन्य के खिलाफ सीबीआइ की प्राथमिकी के आधार पर जांच शुरू की थी। आरकाम और समूह की कंपनियों ने 2010-2012 के बाद से घरेलू और विदेशी ऋणदाताओं से कर्ज लिया। इसमें से कुल 40,185 करोड़ रुपये बकाया है। पांच बैंकों ने समूह के ऋण खातों को फर्जीवाड़ा घोषित किया है।

खास तरह के पैटर्न से की गई हेराफेरी

ईडी ने कहा कि उसने इस मामले में पूर्व-निर्धारित लाभार्थियों, मनगढ़ंत कागजी कार्रवाई, नियंत्रणों से छूट, अनुमोदन से पहले धन का वितरण और फिर संबंधित संस्थाओं को तुरंत धन भेजने जैसे पैटर्न का पता लगाया है। इस तरह की गतिविधि ने सार्वजनिक धन की हेराफेरी को संभव बनाया। एजेंसी ने कहा कि वह अपराध की आय का पता लगाना जारी रखे हुए है।

कर्जदाताओं के नुकसान की भरपाई होगी

ईडी ने कहा कि कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद एजेंसी द्वारा की गई जब्ती का उद्देश्य ऋणदाताओं के नुकसान की भरपाई करना और अंतत: आम जनता को लाभ पहुंचाना है। एजेंसी ने अनिल अंबानी की कंपनियों को कर्ज देने वाले बैंकों की संपत्ति वापस करने का संकेत दिया है। पीएमएलए के तहत इस तरह का प्रविधान किया गया है।

 

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