नई दिल्ली। संसद के चालू बजट सत्र के दूसरे चरण के दूसरे हफ्ते की कार्यवाही का शुक्रवार को चौथा दिन था। केन्द्र गृह मंत्री अमित शाह ने आज राज्यसभा में गृह मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा का जवाब दिया। इस दौरान उन्होंने आतंकवाद पर करारा हमला बोलते हुए सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति का जिक्र किया। उन्होंने अनुच्छेद 370 समेत तमाम मुद्दों पर कांग्रेस समेत विपक्ष को घेरा। साथ ही शाह ने कहा- चर्चा के दौरान कुछ उपयोगी सुझाव आए हैं। हमारी कमियों की ओर ध्यान दिलाया गया। कुछ राजनीतिक टिप्पणियां भी की गईं। कुछ राजनीतिक आक्षेप भी लगाए गए। सभी का संसदीय भाषा में जवाब देने का प्रयास करूंगा।
शाह ने कहा कि चार दशक से देश में तीन नासूर थे, पहला- आतंकवाद, दूसरा- नक्सलवाद और तीसरा- पूर्व उग्रवाद। हमने आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई। उन्होंने कहा- पिछले 10 साल में प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में बहुत कुछ बदला। आतंकवाद, नक्सलवाद और पूर्वोत्तर में उग्रवाद नासूर बने थे। हमें पिछली सरकार ने इसे विरासत में दिया था। 2014 में हमारी सरकार बनी तो हमने तीनों मोर्चों पर मुकाबला किया। जम्मू कश्मीर में आतंकी घटनाओं से हुई मौतों में 70% कमी आई है।
इजराइल और अमेरिका की सूची में जुड़ा महान भारत का नाम
शाह ने कहा कि पहले जम्मू कश्मीर में आतंकी आते थे और कोई त्योहार नहीं होता था जब हमले नहीं होते थे। मोदीजी के आने के बाद भी हमले हुए। उरी और पुलवामा में हमला हुआ। 10 दिन में पाकिस्तान में घर में घुसकर एयर स्ट्राइक कर जवाब दिया गया। दुनिया में इजरायल और अमेरिका की सूची में महान भारत का नाम जुड़ गया। अमित शाह ने कश्मीर में जी-20 बैठक के सफल आयोजन का जिक्र करते हुए कहा कि कन्याकुमारी से कश्मीर तक मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व में यात्रा निकली थी। हमें लाल चौक जाने की परमिशन नहीं मिल रही थी। हमने जिद की तो सेना की सुरक्षा में जाना पड़ा और आनन-फानन में तिरंगा फहराकर आना पड़ा। उसी लाल चौक पर कोई घर ऐसा नहीं था जिस पर हर घर तिरंगा अभियान में तिरंगा न हो।
शाह ने कहा कि हमने कई ऐसे कदम उठाए जिसकी वजह से आतंकियों से भारतीय बच्चों के जुड़ने की संख्या करीब-करीब शून्य हो गई है। आतंकी जब मारे जाते थे, बड़ा जुलूस निकलता था। आज भी आतंकी मारे जाते हैं और जहां मारे जाते हैं, वहीं दफना दिए जाते हैं। घर का कोई आतंकी बन जाता था और परिवार के लोग आराम से सरकारी नौकरी करते थे। हमने उनको निकालने का काम किया। आतंकियों के परिवार के लोग बार काउंसिल में बैठे थे और प्रदर्शन होने लगता था। आज वो श्रीनगर या दिल्ली की जेल में हैं। उन्होंने पथराव से लेकर आॅगेर्नाइज हड़ताल की घटनाओं के आंकड़े भी गिनाए।
केन्द्रीय अर्धसैनिक बलों के प्रति जताया आभार
सबसे पहले मैं उन हजारों राज्य पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों के प्रति आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने देश की आंतरिक सुरक्षा के साथ-साथ सीमाओं को मजबूत करने के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।’ अमित शाह ने कहा, ‘एक तरह से गृह मंत्रालय बहुत कठिन परिस्थितियों में काम करता है। संविधान ने कानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्यों को दी है। सीमा सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा गृह मंत्रालय के अंतर्गत आती है। यह एक सही निर्णय है। इसमें कोई बदलाव करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन जब कानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्यों की है तो 76 साल बाद अब ऐसी स्थिति है कि कई तरह के अपराध राज्य की सीमा तक सीमित नहीं रह गए हैं, वे अंतरराज्यीय भी हैं और बहुराज्यीय भी हैं – जैसे नारकोटिक्स, साइबर अपराध, संगठित अपराध गिरोह, हवाला। ये सभी अपराध सिर्फ एक राज्य के भीतर नहीं होते हैं।
पूर्वोत्तर की समस्या भी समाप्त होने की कगार पर- शाह
गृह मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर की समस्या को भी हम समाप्त करने की कगार पर हैं। हिंसक घटनाओं में 70 फीसदी कमी आई है। 2019 से अब तक 12 शांति समझौते किए। उन्होंने एक-एक समझौते गिनाते हुए कहा कि 10 हजार से अधिक युवा हथियार डालकर मुख्यधारा में लौटे हैं। बोडोलैंड जाकर आया हूं, हजारों हजार युवा विकास के काम में जुटे हैं। परिस्थिति बदल गई है। असम के भीतर पांच लाख करोड़ के निवेश का समझौता हुआ है। आज वहां शांति है। मिजोरम से भागकर त्रिपुरा में दयनीय जीवन जीने वाले अपने ही आदिवासी भाइयों को ब्रू रियांग समझौते के तहत घर दिया और स्किलिंग करके रोजगार के मौके दिए। सारे ब्रू रियांग भाई नरेंद्र मोदी को दुआ दे रहे हैं। 37584 लोगों को नर्क के जीवन से बाहर निकालने का काम नरेंद्र मोदी की सरकार ने किया। ब्रू भाई के घर जाकर चाय पीकर आइए तो मालूम पड़ेगा संवेदनशीलता क्या होती है।
हमने पूर्वोत्तर की समृद्धि के रास्ते खोले
शाह ने कहा कि हमने पूर्वोत्तर की समृद्धि के रास्ते खोले हैं। नरेंद्र मोदी ने दिल्ली और पूर्वोत्तर के बीच दिलों की दूरी भी कम कर दिया है। चोटियों पर बसे गांव जो मानते थे कि हम भारत का अंतिम गांव हैं, मोदी जी ने एक सरल शब्द से ये भाव भर दिया है कि हम भारत का पहला गांव हैं। हमने वहां के लोगों के उत्साह में ये देखा है। दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ कठोर फैसले का माद्दा और नीति चाहिए। मोदी जी ने आतंक के खिलाफ जीरो टॉलरेंस को धार देने के लिए कानूनी आधार को भी मजबूत किया। यूएपीए में संशोधन किया गया।
नक्सल प्रभावित इलाकों में पहुंचा विकास- शाह
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हमने नक्सलियों की आर्थिक कमर तोड़ दी और उनके फाइनेंसर खत्म किया। हमने सुरक्षाबलों के 504 कैम्प बनाए। विकास वहां पहुंचना चाहिए और हम इस साल दिसंबर से पहले पूरा नक्सल एरिया मोबाइल कनेक्टिविटी से लैस कर देंगे। 5731 डाकघर बैंकिंग सेवा के साथ खोले। हाईवे बने, आदिवासी युवाओं को भर्ती कर सुरक्षाबलों में लिया और छह नए हेलीकॉप्टर जवानों को रेस्क्यू करने के लिए लिया जो रात में भी उड़ सके। इसका नतीजा ये हुआ कि आज नक्सलवाद सिमटता जा रहा है। मारे गए लोगों में इनके प्रमुख नेता हैं जिनकी वजह से पूरा आंदोलन चरमरा गया है। हम सरेंडर के लिए लचीली पॉलिसी लेकर आए। विश्वास के साथ कहता हूं, ये सरकार रहते ही देश नक्सल समस्या से मुक्त हो जाएगा।
ड्रग्स के खिलाफ अकेले लड़ाई नहीं लड़ सकती सरकार- शाह
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कुछ सदस्यों ने ड्रग्स को लेकर चिंता व्यक्त की। मैं भी मानता हूं कि ये गंभीर समस्या है। ये लड़ाई अकेले सरकार नहीं लड़ सकती। हमने इससे लड़ने के लिए कई सारे प्रयास भी किए हैं और त्रिकोणीय एक्शन प्लान बनाया है। जो ड्रग्स लेता है वो तो विक्टिम है, गुनहगार उसका व्यापार करने वाला है। हमने गृह से समाज कल्याण विभाग और राज्य सरकारों तक, एक मैकेनिज्म बनाया है और सभी मिलकर लड़ रहे हैं। एक ड्रग की पुड़िया मिलती है तो हम उसकी गहराई में जाते हैं। इसके अच्छे नतीजे भी मिले हैं। चतुष्कोणीय दुष्प्रभाव हैं और इससे मिले पैसे का उपयोग उग्रवाद से नक्सलवाद तक होता है। उन्होंने इसके खिलाफ किए गए प्रयास गिनाए और कहा कि जहां राज्यतर गुनाह है, वहां जेसीसी का गठन करने के साथ ही हमने एनसीबी को भी मजबूत किया है। जागरुकता से लेकर कठोर कानून तक, हमने इस पर प्रहार किया है।