नई दिल्ली। म्यांमार और थाईलैंड में शुक्रवार को आए विनाशकारी भूकंप ने भयंकर तबाही मचाई है। म्यांमार में जहां अब तक मरने वालों की संख्या 700 करीब पहुंच गई है। रिपोट की मानें तो थाईलैंड में मृतकों का आकड़ा 10 हजार तक पहुंच सकता है। वहीं 1700 के करीब घायल है। मलबे बमें दबे लोगों को बचाने के लिए राहत-बचाव कार्य तेजी से चल रहा है। वहीं थाइलैंड में भी 10 लोगों की मौत हुई है।
म्यांमार की मुश्किलें यही खत्म नहीं हुई हैं। शुक्रवार की देर रात फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (एनसीएस) के अनुसार, शुक्रवार रात 11:56 बजे (स्थानीय समयानुसार) म्यांमार में रिक्टर पैमाने पर 4.2 तीव्रता का एक और भूकंप आया। यही नहीं कम से कम 14 और झटके आए हैं। ज्यादातर 5 से कम तीव्रता वाले थे। सबसे शक्तिशाली 6.7 तीव्रता का झटका था जो बड़े भूकंप के लगभग 10 मिनट बाद आया। थाइलैंड में शुक्रवार का आए विनाशकारी भूकंप ने मंडाले, नेपिटॉ, यांगून और कई अन्य शहरों में इमारतों, पुलों और सड़कों को भारी नुकसान पहुंचाया है। लेकिन सबसे अधिक मौतें नेपिटॉ में हुई हैं। यहां से 90 से अधिक लोगों की मौत का आंकड़ा सामने आया है।
यूएसजीएस का दावा- 1000 लोगों की मौत
वहीं अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण(यूएसजीएस) का अनुमान है कि मरने वालों की संख्या 1,0000 से अधिक हो सकती है। अस्पतालों में खून की भारी किल्लत की खबरें मिल रही हैं। म्यांमार सरकार के अनुसार, सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में रक्तदान की अत्यधिक आवश्यकता है। अस्पतालों में खून की भारी कमी बताई जा रही है। आपदा में घायल लोगों से अस्पताल भरे पड़े हैं। म्यांमार ना इस आपदा में दवाओं और अन्य राहत सामाग्री की कमी से जूझ रहा है। सैन्य सरकार ने विदेशी सहायता स्वीकार करने की घोषणा की है, जबकि संयुक्त राष्ट्र ने प्रारंभिक राहत कार्यों के लिए 5 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता राशि जारी की है। वहीं चीन और रूस ने म्यांमार में बचाव दल भेजे हैं, राष्ट्रपति ट्रंप ने भी अमेरिकी मदद की बात कही है। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार, इस भूकंप से मरने वालों की संख्या 1,000 से अधिक हो सकती है। वहीं सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल न्यू लाइट आॅफ म्यांमार के अनुसार, पांच शहरों और कई कस्बों में इमारतें गिर गई हैं, और दो प्रमुख पुल भी ढह चुके हैं।
म्यांमार में भूकंप के बाद भारत ने मदद भेजी
म्यांमार में आए भूकंप के बाद भारत ने मदद भेजी है। 15 टन वाली राहत सामग्री की पहली खेप वहां पहुंच गई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इसकी पुष्टि की। जायसवाल ने कहा कि इसे आॅपरेशन ब्रह्मा नाम दिया गया है। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को सोशल मीडिया पर लिखा कि म्यांमार के लोगों के लिए पहली खेप के रूप में तात्कालिक मानवीय सहायता भेजी गई है। उन्होंने बताया कि भारतीय वायु सेना का सी-130 प्लेन राहत पैकेज में टेंट, स्लीपिंग बैग, कंबल, खाने के लिए तैयार भोजन, वाटर प्यूरीफायर, हाइजीन किट, सोलर लैंप, जनरेटर सेट और पैरासिटामोल, एंटीबायोटिक्स, सीरिंज, दस्ताने और पट्टियां जैसी आवश्यक जीचें ले जा रहा है। प्लेन में एक सर्च और रेस्कूय टीम के अलावा मेडिकल टीम भी है। जयशंकर ने कहा कि हम स्थिति पर नजर बनाए रखेंगे और आगे भी सहायता भेजी जाएगी।
भूकंप से सुरक्षित हैं आंग सान सूची
म्यांमार की पूर्व प्रधानमंत्री आंग सान सूची सुरक्षित हैं। यह जानकारी बीबीसी ने सूत्रों के हवाले से दी है। सूची म्यांमार की जेल में कैद हैं। म्यांमार में सेना ने 2021 में तख्तापलट कर दिया था। इसके बाद सूची को हिरासत में रखा गया था। साल 2023 में भ्रष्टाचार समेत कई आरोपों में उन्हें जेल भेज दिया गया।
रेडक्रॉस को बिजली न होने से आ रही मुश्किलें
रेड क्रॉस ने कहा कि बिजली आपूर्ति बाधित होने की वजह से मांडले, सागाइंग और दक्षिणी शान राज्य तक पहुंचने की कोशिशों में जुटी उनकी टीमों को मुश्किलें आ रही हैं। रेड क्रॉस ने कहा कि उसे जो शुरूआती जानकारी मिली है, उसके मुताबिक भूकंप से काफी ज्यादा नुकसान हुआ है। फिलहाल वे मानवीय मदद को लेकर जानकारी जुटा रहे हैं। म्यांमार और थाईलैंड में भूकंप में राहत और मदद के लिए रेड क्रॉस ने डेढ़ लाख डॉलर देने का वादा किया है। इस फंड का इस्तेमाल जरूरी चीजों जैसे भोजन, पानी, कंबल, तिरपाल, हाईजीन किट में होगा।