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संगठन को मजबूज बनाने में जुटी कांग्रेस, पहली बार बनाई चुनाव प्रबंधन समिति

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मध्य प्रदेश कांग्रेस संगठन को मजबूत करने में जुटी हुई है। इसे लेकर तरह-तरह के प्रयोग किया जा रहे हैं और अलग-अलग व्यक्तियों को दायित्व दिए जा रहे हैं। विधानसभा चुनाव के करीब साढ़े तीन साल पहले कांग्रेस ने पहली बार चुनाव प्रबंधन विभाग का अलग से गठन किया है।

काग्रेस के प्रदेश संगठन प्रभारी डॉ. संजय कावले ने बताया कि इससे पहले चुनाव के समय चुनाव प्रबंधन कमेटी बनाई जाती थी। पहली बार इस तरह का प्रयोग किया गया है। इस विभाग का प्रभार पूर्व मंत्री प्रियव्रत सिंह को दिया गया है।

वही संगठन प्रभारी मे भी बदलाव किया गया गया है। पूर्व मंत्री प्रियव्रत सिंह की जगह पूर्व मंत्री सुखदेव पांसे को प्रभार सौंप गया है। दरसअल चार महीने पहले एमपी कांग्रेस के संगठन में दो-दो प्रभारी नियुक्त किए गए थे। पूर्व मंत्री प्रियव्रत सिंह और प्रदेश महामंत्री संजय कामले को संगठन का प्रभारी बनाया गया था। चार महीने में ही प्रियव्रत सिंह की जगह संगठन का प्रभार पूर्व मंत्री सुखदेव पांसे को दिया गया है।

कांग्रेस की चुनाव प्रबंधन समिति

1-  प्रियव्रत सिंह- प्रभारी

2-  गौरव रघुवंशी- अध्यक्ष

3-  गोरकी बैरागी- सदस्य

4- मृणाल पंत- सदस्य

5- शैलेन्द्र पटेल- सदस्य

6- मयंक तेनगुरिया- सदस्य

पंचायत और वार्ड समितियों का होगा गठन

एमपी कांग्रेस द्वारा गठित चुनाव प्रबंधन विभाग अब निचले स्तर के संगठन पर काम करेगा। यानि हर विधानसभा में चुनाव प्रबंधन का प्रभारी नियुक्त किया जाएगा। इसके बाद पंचायत और वार्ड समितियों का गठन होगा। इन समितियों के गठन में इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि चुनावी लिहाज से पंचायत और वार्ड समिति के सदस्य कितने कैपेबल हैं।

सोशल मीडिया पर सक्रियता के साथ ही स्थानीय राजनीतिक परिस्थिति और तकनीक के जानकार लोगों को सदस्य बनाया जाएगा। विधानसभा के प्रभारियों के बाद पंचायत और वार्ड समितियों को चुनावी लिहाज से ट्रेनिंग देने का काम चुनाव प्रबंधन विभाग द्वारा किया जाएगा। वहीं बीजेपी ने जिस तरह से मतदाता सूची पर पन्ना प्रभारी और अर्द्ध पन्ना प्रभारी नियुक्त किए हैं। कांग्रेस भी अब पन्ना प्रभारियों की काट खोजने के लिए पंचायत और वार्ड समितियों के गठन के बाद वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन पर बारीकी से काम करेगी।

कांग्रेस के चुनाव प्रबंधन विभाग द्वारा पंचायत और वार्ड समितियों के जरिए स्थानीय स्तर के सार्वजनिक मुद्दे संकलित कराए जाएंगे। उनका पूरा दस्तावेजीकरण होगा। चुनाव में नैरेटिव सेट करने में ये मुद्दे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे। कौन से ऐसे स्थानीय मुद्दे हैं जिन्हें जिला स्तर पर और प्रदेश स्तर पर उठाते हुए इलेक्शन का नैरेटिव सेट करना है ये काम भी चुनाव प्रबंधन विभाग करेगा।

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