निहितार्थ

ट्विटर की चिड़िया से ज्यादा पंख फड़फड़ाती कांग्रेस

प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में कभी सुभाष यादव के खास रहे मिश्रा भी फिलहाल अधिकांश नेताओं की तरह कमलनाथ के परम भक्तों की फेहरिस्त में गिने जाते हैं। अब यह भक्ति-भाव इतना अधिक बढ़ गया है कि जिस जगह नाथ का नाम तक नहीं है, वहां वह अपने नेता को अगला मुख्यमंत्री घोषित कर गए।

केके मिश्रा अभी कांग्रेसी लेकिन पुराने समाजवादी हैं। अब तक मैं उन्हें कांग्रेस नेता, प्रवक्ता और वक्त आने पर अच्छे वक्ता के रूप में पहचानता आया हूं। आज उनके कई नए रूप भी दिख रहे हैं। वह मुझे उन गोस्वामी तुलसीदास जैसे लगने लगे हैं, जो सांप को भी रस्सी समझकर उस के सहारे मकान के ऊपरी हिस्से तक चले गए थे। मैं उनमें वह मजनू भी देख रहा हूं, जिसे रेगिस्तान की आंधी से उठे रेत के बवंडर को देखकर यह लगता था कि ऊंटनी पर बैठकर लैला उससे मिलने आ रही है।

बात यह कि मिश्रा ने रोचक ट्वीट किया है। जबलपुर से प्रकाशित होने वाले एक कैलेंडर को लेकर वह अति-उत्साहित होने की सीमाओं से परे चले गए। कैलेण्डर में ज्योतिष पंडित बाबूलाल चतुवेर्दी की एक भविष्यवाणी की मिश्रा ने अद्भुत व्याख्या की है। लिखा है कि इसमें राज्य में शिवराज सिंह चौहान की विदाई और कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने की भविष्यवाणी की गयी है। मजे की बात यह कि पूरी भविष्यवाणी में मिश्रा की वाणी का केवल आधा हिस्सा ही सच के रूप में दिखता है। उसमें एक भी जगह शिवराज के जाने की बात नहीं है। कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने जैसी बात तो दूर, उनके नाम तक का उल्लेख वहां नहीं है। अलबत्ता यह जरूर कहा गया है कि इस साल की शुरूआत से लेकर उत्तरार्ध तक का समय मुख्यमंत्री के लिए संकटकारी है और सरकार में बड़े परिवर्तन के योग हैं। इसमें मंत्रिमंडल में बदलाव की बात कही गयी है। भविष्यवाणी नीचे यह भी कहती है कि कांग्रेस पहले से अधिक सशक्त दिखाई देगी, जिसका असर चुनाव में दिखाई देगा।

 


प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में कभी सुभाष यादव के खास रहे मिश्रा भी फिलहाल अधिकांश नेताओं की तरह कमलनाथ के परम भक्तों की फेहरिस्त में गिने जाते हैं। अब यह भक्ति-भाव इतना अधिक बढ़ गया है कि जिस जगह नाथ का नाम तक नहीं है, वहां वह अपने नेता को अगला मुख्यमंत्री घोषित कर गए। मिश्रा जिस तरह शिवराज के लिए ‘संकटकारी समय’ वाली बात की दुम पकड़ रहे हैं, वह काफी मनोरंजक हो गया है। शिवराज ने तो भीषण संकट के समय ही मुख्यमंत्री पद संभाला था। भाजपा के ही कई दिग्गज शिवराज को पस्त करने के लिए हरसंभव प्रयास में जुटे हुए थे। उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर ‘पल-दो-पल का शायर’ वाली नजर से देखा जाता था। लेकिन फिर हुआ यह कि शिवराज प्रदेश के सबसे मजबूत मुख्यमंत्री बनकर उभरे।

उनके नेतृत्व में लगातार दो विधानसभा चुनाव जीतकर उन्होंने सबसे लंबे समय के मुख्यमंत्री का प्रादेशिक रिकॉर्ड भी स्थापित कर दिया। ये सब जिस समय हुआ, उसका भी अधिकांश वक्फा शिवराज के लिए अंदरूनी और बाहरी चुनौतियों वाला ही बना रहा। तो जो व्यक्ति ऐसे अनगिनत दुर्गम पड़ावों को भी सफल तरीके से पार करता चला गया, उसे भविष्य की चुनौतियों से बहुत अधिक असर होगा, ये बात आसानी से हजम नहीं होती है। जहां तक बदलाव वाली बात है, तो हर दूसरा राजनीतिक पंडित इस बात को कह रहा है, लेकिन कोई भी इसका आधार नहीं बता पा रहा। कामकाज और लोकप्रियता से लेकर सफलता के स्तर तक शिवराज ने जो शक्ति हासिल की है, उसे देखते हुए यह नहीं लगता कि चुनावी साल में भाजपा उन्हें हटाने जैसा जोखिम उठाएगी। जहां तक मंत्रिमंडल में फेरबदल की बात है तो यह स्वाभाविक प्रक्रिया है और चुनावी साल में ऐसा होने के लिए किसी भविष्यवाणी पर निर्भर होने की आवश्यकता नहीं रहती है। कांग्रेस के सशक्त होने जैसी बात से जुड़ी उम्मीद के लिए मिश्रा जी को शुभकामनाएं।

 

मिश्रा ने इस ट्वीट के साथ एक और जोरदार बात लिखी है। वह यह, ‘नीरज वशिष्ठ जी की पूजा,टोटके सब व्यर्थ जायेंगे!’ नीरज वशिष्ठ को शिवराज सिंह चौहान के सबसे विश्वसनीय अफसर के तौर पर पहचाना जाता है। शिवराज जब से मुख्यमंत्री बने हैं, वशिष्ठ उनके ओएसडी के तौर पर काम कर रहे हैं। भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हो चुके वशिष्ठ अभी भी शिवराज के ओएसडी ही हैं। पता नहीं मिश्रा ने वशिष्ठ के लिए किस पूजा और टोटके की बात की है। लेकिन उन्होंने यह कहकर आर के मिगलानी और रविंद्र बड़गैया जैसे कुछ तगड़े पूजकों की याद ताजा कर दी है। कमलनाथ सरकार के ये दो दाएं-बाएं इतने ताकतवर थे कि पंद्रह महीने में ये दोनों अलग-अलग शक्तिपीठ के रूप में वल्लभ भवन से लेकर मुख्यमंत्री निवास तक स्वयं भी पूजनीय की श्रेणी में आ गए थे। तब शक्ति का उन्माद भी ऐसा था कि कांग्रेस के विधायक नाथ के ‘चलो-चलो, आगे बढ़ो’ वाले दुर्व्यवहार के शिकार होने के लिए अभिशप्त थे। कहा जाता है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री के इस दंभ को मिगलानी और बड़गैया ही दम प्रदान करते थे। जाहिर है शिवराज के ओएसडी के तौर पर नीरज वशिष्ठ पिछले डेढ़ दशक में ऐसे किसी दंभ के शिकार नहीं हुए। बात अकेले वशिष्ठ की ही नहीं है शिवराज सहित उनकी पूरी टीम में शामिल लोगों की ऐसी शिकायतें कभी सुनने में नहीं आई कि इनमें से किसी ने कभी किसी विधायक को हड़काया हो या किसी को अपमानित किया हो। कमलनाथ की सरकार में तो कांग्रेसी विधायकों की ऐसी शिकायतें आम थी। तो लगता नहीं है कि टीम शिवराज के पूजा, टोटके व्यर्थ जा सकते हैं। शिवराज जितनी मेहनत करते हैं, जाहिर है उनकी टीम का कदमताल भी उनके साथ है।

ऐसे में मिश्रा को यह सोचना चाहिए कि वशिष्ठ की पूजा या टोटके के मुकाबले नाथ सरकार के समय किस किस्म की पूजा और प्रपंच को यूं अंजाम दिया गया कि पंद्रह महीने में ही मामला टांय-टांय फिस्स हो गया? वशिष्ठ की पूजा में वह कौन सा दम है कि शिवराज और भाजपा वर्ष 2018 की हार के बाद एक फिर अपराजेय दिखने लगे हैं? खैर, मिश्रा के इस ट्वीट में कितनी गंभीरता है, यह उन्हें ट्रोल किए जाने वालों की टिप्पणियां पढ़कर आसानी से समझा जा सकता है। हां, भविष्यवाणी में कांग्रेस के पहले से अधिक सशक्त होने का जिक्र है। इसके लिए पार्टी को एक बार फिर अग्रिम शुभकामनाएं। बाकी राज्य की 29 में से 28 लोकसभा सीट हारने, 28 सीटों के उपचुनाव में 19 जगहों पर मात खाने, नगरीय निकाय और पंचायत के निर्वाचन में अधिकांश जगह भाजपा से पीछे रहने तथा वर्ष 2018 की भारी एंटी इंकम्बेंसी लहर के बाद भी स्पष्ट बहुमत हासिल न कर पाने वाली कांग्रेस में आज भी कोई बदलाव न किया जाना इस बात का घोतक है कि पार्टी आलाकमान इन हालात को ही मजबूती की मिसाल मानता है। ऐसी बेमिसाल मजबूती के लिए कांग्रेस को बधाई भी। बाकी एक भविष्यवाणी को तोड़मरोड़कर आल्हादित हो रहे मिश्रा को देखकर साफ है कि प्रदेश में कांग्रेस सत्ता छिनने के बाद से ट्विटर की चिड़िया से भी अधिक गति से पंख फड़फड़ा रही है।

प्रकाश भटनागर

मध्यप्रदेश की पत्रकारिता में प्रकाश भटनागर का नाम खासा जाना पहचाना है। करीब तीन दशक प्रिंट मीडिया में गुजारने के बाद इस समय वे मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तरप्रदेश में प्रसारित अनादि टीवी में एडिटर इन चीफ के तौर पर काम कर रहे हैं। इससे पहले वे दैनिक देशबंधु, रायपुर, भोपाल, दैनिक भास्कर भोपाल, दैनिक जागरण, भोपाल सहित कई अन्य अखबारों में काम कर चुके हैं। एलएनसीटी समूह के अखबार एलएन स्टार में भी संपादक के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। प्रकाश भटनागर को उनकी तल्ख राजनीतिक टिप्पणियों के लिए विशेष तौर पर जाना जाता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button