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पुलिस ट्रेनिंग सेंटर्स में गीतापाठ के निर्देश को कांग्रेस ने बताया भगवाकरण

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मध्यप्रदेश के पुलिस ट्रेनिंग स्कूलों में भर्ती जवानों को श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ कराने के निर्देश ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है. कांग्रेस ने इसे पुलिस का भगवाकरण बताया है. वहीं बीजेपी ने इसे भारतीय संस्कृति और नैतिक मूल्यों से जोड़ने वाला कदम बताया है.

दरअसल पुलिस प्रशिक्षण शाखा के एडीजी राजाबाबू सिंह ने सभी आठ पुलिस प्रशिक्षण विद्यालयों को निर्देश दिया है कि भर्ती जवान रात में ध्यान (मेडिटेशन) से पहले श्रीमद्भगवद्गीता के एक अध्याय का पाठ करें.

एडीजी राजाबाबू सिंह के अनुसार “गुरुवार से मार्गशीर्ष (अगहन) माह का आरंभ हुआ है, जिसे शास्त्रों में भगवान श्रीकृष्ण का महीना कहा गया है. श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं कहते हैं ‘मासानां मार्गशीर्षोऽहम्’, अर्थात् ‘मैं महीनों में मार्गशीर्ष हूं.’ मैं चाहूंगा कि सभी पुलिस प्रशिक्षण संस्थानों के अधीक्षक इस पवित्र मार्गशीर्ष माह में, यदि संभव हो, तो रात में ध्यान से पहले गीता का एक अध्याय पढ़वाएं.

उन्होंने आगे कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता हमारा सनातन ग्रंथ है. इसका नियमित अध्ययन हमारे जवानों को सही जीवन जीने की कला सिखाएगा और उनका जीवन बेहतर होगा.” इससे पहले भी एडीजी सिंह ने तुलसीदास की रामचरितमानस के दोहे पुलिस प्रशिक्षण केंद्रों में पढ़वाने की पहल की थी. उनका कहना था कि इससे अनुशासन और नैतिकता की भावना मजबूत होती है.

कांग्रेस ने इस पहल को सिरे से खारिज करते हुए इसे संविधान के खिलाफ बताया है. कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने कहा, “हर व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए. पुलिस बल का भगवाकरण करने की शुरुआत मध्यप्रदेश से हो रही है. पुलिस को इससे मुक्त रखा जाना चाहिए. यह प्रयास संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ है और संविधान की रोशनी में इस पर कार्रवाई की जानी चाहिए.”

वहीं बीजेपी ने कांग्रेस के आरोपों को राजनीतिक कहा. बीजेपी प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने NDTV से कहा, “भारत जैसे देश में अगर कोई भगवद्गीता को सांप्रदायिक मानता है तो उसकी भारतीयता पर ही संदेह है यह मेरा स्पष्ट आरोप है. यह वह ग्रंथ है जिसे आधी दुनिया सम्मान देती है, जो दर्शन की बात करता है, धर्म की नहीं. जहां तक पाठ का सवाल है, कोई जबरन नहीं कराया जा रहा. अगर उसके सार को समझकर पुलिसिंग में सुधार होता है, तो समाज और देश दोनों सुधरेंगे. हम विश्वगुरु बनेंगे और कांग्रेस इसी का विरोध करती है.”

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश पुलिस ने पिछले कुछ वर्षों में ध्यान और नैतिक शिक्षा को अपने प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया है. भर्ती जवान हर रात आधे घंटे ध्यान करते हैं, पीटीएस प्रमुख का मानना है कि इससे एकाग्रता और तनाव नियंत्रण में मदद मिली है. अब पुलिस विभाग 19 से 21 दिसंबर तक वर्ल्ड मेडिटेशन डे के अवसर पर ‘हार्टफुलनेस मेडिटेशन सेशन’ आयोजित करेगा. यह कार्यक्रम भोपाल के बड़ा तालाब, इंदौर के राजवाड़ा, जबलपुर के धुआंधार जलप्रपात, उज्जैन के महाकाल मंदिर, और छतरपुर के खजुराहो मंदिरों सहित कई स्थलों पर होगा.

एडीजी सिंह ने कहा, “हम ध्यान को धरोहर और संस्कृति से जोड़ना चाहते हैं. उद्देश्य यह है कि लोग आत्मिक शांति और एकाग्रता के साथ भारतीय परंपरा से भी जुड़ें,” यह कार्यक्रम 55 जिलों में 76 प्रशिक्षित प्रशिक्षकों द्वारा नि:शुल्क आयोजित किया जाएगा. जहां एडीजी सिंह इसे नैतिकता और अनुशासन सिखाने वाला प्रयास बता रहे हैं, वहीं विपक्ष इसे धर्म और राज्य संस्थाओं के बीच की रेखा धुंधली करने वाला कदम मान रहा है.

बीजेपी का तर्क है कि गीता किसी एक धर्म की नहीं, बल्कि भारतीय दर्शन की धरोहर है. फिलहाल मध्यप्रदेश पुलिस के जवान रात में ध्यान के साथ रामचरितमानस के दोहे, गीता के श्लोक और जीवन-मूल्य सीख रहे हैं और इसी के बीच धर्म, संविधान और संस्कृति पर एक नया सियासी अध्याय लिखा जा रहा है.

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