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जनसल्याणक महोत्सव में बोले सीएम:संत, महात्मा ज्ञान और सन्मार्ग के प्रेरणा पुंज हैं

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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश सरकार गौमाता की सेवा सहित जनकल्याण के विभिन्न कार्यों को संतजन का आशीर्वाद और मार्गदर्शन प्राप्त कर निरंतर रूप से कार्य करेगी। हमारे संत, महात्मा ज्ञान और सन्मार्ग के प्रेरणा पुंज हैं।

भगवान महावीर ने अहिंसा, संयम, सत्य, समर्पण के मूल्यों को महत्व दिया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि महाराज जी और अन्य संतों के आशीर्वाद से राज्य सरकार महावीर स्वामी के सिद्धांतों का पालन करते हुए  जनकल्याण की दिशा में आगे बढ़ रही है।

डॉ. यादव रवीन्द्र भवन सभागम, भोपाल में गुरूवार की शाम आयोजित महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव और मुनि श्री प्रमाणसागर जी महाराज के 38वें दीक्षा दिवस कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में जैन संप्रदाय के विभिन्न संगठनों द्वारा मुख्यमंत्री डॉ. यादव का अभिनन्दन किया गया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भगवान महावीर और हमारे अन्य आराध्यों से भारत की विशेष पहचान विश्व में बनी है। विश्व के अधिकांश देशों में विभिन्न प्रकार के संघर्षों से संस्कृति की धारा प्रभावित हुई लेकिन भारत ऐसा राष्ट्र है जो संतों, मुनियों के बताए मार्ग पर आज भी चल रहा है।  भारत में सन्मार्ग पर चलने की गौरवशाली परम्परा है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मुनि श्री प्रमाणसागर महाराज के चरणों में नमन करते हुए कहा कि दुनिया में 200 से ज्यादा देश हैं, इनमें से अनेक देशों की संस्कृति कहां गई, किसी को पता नहीं चला। दुनिया भले उलझन में रहे लेकिन भारतमाता ने कई संस्कृतियों को पल्लवित-पोषित किया है। भगवान महावीर स्वामी ने जीवन का रहस्य भी समझाया है।

अपरिग्रह, त्याग, ब्रह्मचर्य, समर्पण के मूल्यों को उन्होंने स्थापित किया। आचार्य विद्यासागर जी को देखकर भगवान महावीर का स्मरण होता था। आचार्य विद्यासागर जी महाराज जीते जी देवत्व को प्राप्त हो गए। उनके बारे में लिखे साहित्य को पढ़ने पर यह ज्ञात होता है कि वैचारिक रूप से वे कितने समृद्ध थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मुनि श्री से मुख्यमंत्री निवास पधारने का अनुरोध भी किया।

सत्ता के साथ श्रद्धा हो तो संस्कृति प्रतिष्ठित होती है

मुनि श्री प्रमाणसागर महाराज ने कहा कि आज देश का सौभाग्य है देश और देश के  कई राज्यों में धर्मधारी सत्ता में हैं। सत्ता के साथ श्रद्धा हो, तो संस्कृति प्रतिष्ठित होती है। हमारी संस्कृति पर अनेक आघात भी हुए, लेकिन आज भी संस्कृति का स्वरूप सुरक्षित है।

एआइ और रोबोट आ जाने से कार्य में सुविधा हो सकती है, लेकिन ये यंत्र संवेदना से दूर हैं। मनुष्य के पास संवेदना की शक्ति है। यदि संवेदना नहीं है तो मनुष्य भी रोबोट और यंत्र ही कहलाएंगे। हमने ऐसी धरा पर जन्म लिया है जहां उत्तम विरासत प्राप्त हुई है। भौतिक समृद्धि स्थाई  समृद्धि नहीं है। आध्यात्मिक मजबूती को आदर्श बनाने की आवश्यकता है। आचार विचार हीनता का कोई स्थान न होतो जीवन सफल और सार्थक होता है। आधुनिकता के साथ कार्य के प्रति ईमानदारी हो, तो परमात्मा भी मनुष्य को सक्षम बनाता है।

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