24.1 C
Bhopal

सुप्रीम अदालत से बोला केंद्र, हर समस्या का समाधान कोर्ट में हो जरूरी नहीं

प्रमुख खबरे

केंद्र सरकार में सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हर समस्या का समाधान सुप्रीम कोर्ट द्वारा ही किया जाए, ये जरूरी नहीं है। केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रेसिडेंशियल रेफरेंस पर हो रही सुनवाई के दौरान ये तर्क दिया।

केंद्र ने कहा कि कुछ मुद्दों पर मुख्यमंत्री की प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति के साथ बातचीत होनी चाहिए। सरकार ने कहा कि हर मामले में न्यायिक समाधान के बजाय राजनीतिक समाधान को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। ये सुनवाई सुप्रीम कोर्ट द्वारा अप्रैल में विधेयकों को पारित करने की समयसीमा तय किए जाने के बाद राष्ट्रपति ने रेफरेंस भेजकर कोर्ट से कुछ सवाल पूछे थे।

राष्ट्रपति के रेफरेंस पर हो रही सुनवाई

दरअसल तमिलनाडु, केरल और पंजाब जैसे कुछ गैर-भाजपा शासित राज्यों ने आरोप लगाए थे कि विधानसभा से पारित विधेयकों को राज्यपाल द्वारा जानबूझकर रोका जा रहा है। तमिलनाडु सरकार और राज्यपाल आरएन रवि के बीच तकरार सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई और फिर अप्रैल में शीर्ष अदालत ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए विधेयकों को राज्यपाल या राष्ट्रपति द्वारा 3 महीने के भीतर मंजूरी दिए जाने की समयसीमा तय किया।

कोर्ट के इस आदेश के बाद राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत मिले अधिकार का इस्तेमाल करते हुए कोर्ट से रेफरेंस मांगा था। इस पर सुनवाई के लिए गठित पीठ के सामने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क देते हुए कहा कि अगर कुछ राज्यपाल विधेयकों पर अड़े भी हुए हैं, तो न्यायिक समाधान की जहर राजनीतिक समाधान को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘ऐसे समाधान हो भी रहे हैं। मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री से मिलकर अनुरोध करते हैं, राष्ट्रपति से मिलते हैं। कहते हैं कि ये विधेयक लंबित हैं, कृपया राज्यपाल से बात कर उन्हें निर्णय लेने को कहें। ये मुद्दे टेलीफोन पर सुलझाए जा सकते हैं। लेकिन इससे अदालतों को समयसीमा तय करने का अधिकार नहीं मिल जाता।’

- Advertisement -spot_img

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -spot_img

ताज़ा खबरे