24.1 C
Bhopal
- Advertisement -

CATEGORY

निहितार्थ

बिल्ली के भाग्य से नहीं टूटेगा ये छींका

निहितार्थ: सुभीते के हिसाब से पानी के स्थानीय स्रोतों के अलग-अलग नाम लेकर एक मायनेखेज बात कही जाती है। वह यह कि अब तक...

हिम्मत है तो लिखिए- पीछे से खुलने वाला पायजामा

ये और इस जैसी कई बातें आसानी से गले नहीं उतरती हैं। खास तौर पर जो खाका पहनाकर उन्हें सामने लाया जाता है, वह...

शिवराज के संवेदनशील जज्बें को बाकी राजनीतिज्ञों की मान्यता है यह

एक बात बिना किसी संकोच के कही जा सकती है। वह यह कि सोचते सब हैं, लेकिन सोचकर उस पर अमल कर लेने में...

राजनीति के मसखरे राहुल और कमलनाथ

राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से आप यूं भी किसी समझदारी की विशेष उम्मीद नहीं रख सकते हैं। किसी बहुत पढ़े-लिखे और प्रतिष्ठित परिवार (Distinguished...

पहले पूरी तरह उगने तो दीजिये इस सूरज को

ये निश्चित ही एक लंबी रात के ख़त्म होने का संकेत है। लेकिन इसे सुबह के आगमन की आशा से नहीं जोड़ा जा सकता...

क्या ये ‘दिमाग भटकाऊ’ अस्त्र है ?

एक सवाल सहज रूप से उठ रहा है। मध्यप्रदेश (Madhya pradesh) में अदालत और पुलिस नाम की संस्थाओं का कोई अस्तित्व बाकी नहीं बचा...

नाथ की नैतिकता की राजनीति का सड़कछाप संस्करण

भूल बड़ी पुरानी है। ऐसी भूल, जिस पर धूल डालने का शुभ मुहूर्त भी न जाने कब का गुजर चुका है। तो भूल मात्रा...

क्या होगा केजरीवाल का अगला टारगेट

इन दो वस्तुओं का आरोह-अवरोह यूं तो इस तरह होता नहीं है। यानी अकल अपने निर्धारित खांचे से नीचे उतारकर घुटने में नहीं समाएगी।...

कुछ हैरत, बहुत कुछ उम्मीद शिवराज से

थोड़ी-सी हैरत है। बहुत सारी उम्मीदें भी। दोनों का रुख मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) की तरफ है। हैरत इस बात की...

मोदी के लिए अब देश के मन की बात सुनने का समय

आज की पीढ़ी कई दर्दनाक कौतुहलों से मुक्त हो चुकी है। प्लेग, हैजा और चेचक से हुई अनगिनत मौतें अब अतीत का विषय बन...

Latest news

- Advertisement -