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खड़गे की चादर और केसरी का फटा कुर्ता
और गहरा हो जाना कांग्रेस की दरारों का
समझना होगा इस बड़े अंतर को
निक्कर की आग में छिपी सुलगन कांग्रेस की
सयाने स्वरों पर चाटुकारिता का शोर
एक ‘गुलाम’ पर आकर नहीं रुकेगा ‘आजाद’ होने का यह क्रम
कोहनी से कंचे का खेल खेलते राहुल….!
आपका छाता और शिवराज का और छाता प्रभाव
हम आजाद कब कहलाएंगे?
हंसने नहीं, सिस्टम को कसने का समय