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जनजजातीय गौरव यात्रा से आदिवासी वोटर्स से जुड़ाव बढ़ाने की तैयारी में भाजपा

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भाजपा ने मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए नया अभियान शुरू करने जा रही है। बिरसा मुंडा जयंती पर होने वाली गौरव यात्राओं के जरिए पार्टी ट्राइबल वोटर्स से जुड़ाव बढ़ाएगी।

मध्यप्रदेश में भाजपा ने एक बार फिर आदिवासी बहुल क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। पार्टी ने जनाधार दोबारा बढ़ाने और ‘किंगमेकर’ माने जाने वाले ट्राइबल वोटर्स से जुड़ाव बढ़ाने के लिए विशेष अभियान की शुरुआत की है।

बिरसा मुंडा जयंती के अवसर पर होने वाली गौरव यात्रा का आयोजन कर रही है। 11 नवंबर से 15 नवंबर तक यह यात्राएं आदिवासी बाहुल्य जिलों की विधानसभा सीटों पर निकाली जाएगी। 15 नवंबर को बिरसामुंडा जयंती पर जबलपुर और आलीराजपुर में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्चुअली संबोधित करेंगे। प्रदेश की कुल 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं। इनमें से फिलहाल भाजपा के पास 25 सीटें हैं। हालांकि 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को इस क्षेत्र में नुकसान उठाना पड़ा था।

झाबुआ, अलीराजपुर, खरगोन, बड़वानी, मंडला, डिंडौरी, बालाघाट, सिंगरौली, उमरिया, शहडोल, छिंदवाड़ा, बैतूल, हरदा, सीधी और सागर समेत अन्य जिलों में यह 47 सीटें शामिल हैं। भाजपा ने इन इलाकों में बूथ स्तर तक संगठन को सक्रिय करने और आदिवासी युवाओं व महिलाओं से सीधे संवाद की योजना बनाई है। इन यात्राओं में जनजातीय स्वाभिमान सम्मेलन, विशिष्ट व्यक्तियों का सम्मान, देवस्थानों की साफ-सफाई, दीपोत्सव और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। प्रत्येक यात्रा का रात्रि विश्राम गांवों में होगा ताकि कार्यकर्ता सीधे जनजातीय समाज से संवाद कर सकें।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, आदिवासी वर्ग का पिछले कुछ वर्षों में भाजपा की योजनाओं से के कारण पार्टी की तरफ झुकाव बढ़ा है।

2018 में भाजपा को आदिवासी क्षेत्रों में सिर्फ 16 सीटें मिली थीं, जबकि 2023 में यह संख्या बढ़कर 25 तक पहुंच गई। अब पार्टी का प्रयास इन इलाकों में फिर से अपनी पुरानी बढ़त कायम करने का है।

2023 के चुनावों में इस वर्ग के वोटों में बढ़ोतरी दर्ज की गई। अब लक्ष्य 2028 के चुनाव तक इन सीटों पर बहुमत हासिल करने का है।

वहीं, जुलाई 2024 में हुए अमरवाड़ा उपचुनाव में भाजपा को एक और सीट मिलने से कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ा है। पार्टी मानती है कि यह नतीजा आदिवासी क्षेत्रों में उसके बढ़ते प्रभाव का संकेत है।

 

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