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असदुद्दीन ओवैसी का तीखा हमला, राकेश किशोर की जगह असद होता तो सख्त एक्शन होता

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भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर हुए कथित हमले को लेकर एआईएमआईएम चीफ व हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने पीएम मोदी और उनकी सरकार पर तीखा हमला बोला है।

उन्होंने केंद्र सरकार पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि राकेश किशोर की जगह असद होता तो उसके खिलाफ सख्त ऐक्शन लिया जाता। उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर पक्षपात करते हुए राकेश किशोर के खिलाफ ऐक्शन नहीं लिया जा रहा है।

मंगलवार को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अगर हमलावर का नाम राकेश किशोर की जगह ‘असद’ होता तो पुलिस और सत्ताधारी दल क्या करते? उन्होंने इस घटना की तुलना हाल ही में उत्तर प्रदेश के बरेली में ‘आई लव मोहम्मद’ बैनर हटाने के विरोध में प्रदर्शन करने वाले मुसलमानों पर हुई कार्रवाई से की।

एआईएमआईएम चीफ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में एक शख्स अपना जूता उठाकर सीजेआई के कोर्ट में फेंकता है। उन्होंने कहा कि अदालत में राकेश किशोर नाम के शख्स ने ‘सनातन का अपमान, नहीं सहेगा हिंदुस्तान’ जैसे नारे लगाए थे।

ओवैसी ने पीएम मोदी, आरएसएस चीफ मोहन भागवत और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सवाल पूछते हुए कहा कि बताइए उस शख्स के अंदर इतनी हिम्मत कैसे आई कि वह भारत के दूसरे दलित सीजेआई की तरफ जूता उठाकर फेंके? उन्होंने प्रधानमंत्री से पूछा कि क्या उनकी सरकार और नीतियां ऐसे लोगों को बढ़ावा नहीं दे रही हैं, जिन्होंने ऐसे लोगों के दिलों में जहर भर दिया है।

एआईएमआईएम चीफ ने वकील राकेश किशोर की गिरफ्तारी न होने पर सवाल उठाते हुए कहा, कि अगर उसका नाम राकेश किशोर की जगह असद होता हो अब तक मुझे गिरफ्तार कर लिया जाता। ओवैसी ने इस बात पर जोर दिया कि भले ही सीजेआई ने खुद कोई मामला दर्ज न कराने का फैसला किया हो, प्रधानमंत्री को केवल निंदा करने के बजाय कानूनी कार्रवाई शुरू करनी चाहिए थी।

ओवैसी ने राकेश किशोर के खिलाफ कार्रवाई न होने की तुलना 2023 में संसद में घुसकर धुआं फैलाने वाले दो युवकों के मामले से की, जिन पर UAPA लगाया गया था। उन्होंने कहा कि राकेश किशोर पर भी UAPA लगाया जाना चाहिए था और पुलिस स्वतः संज्ञान लेकर शिकायत दर्ज कर सकती थी। उन्होंने मुसलमानों के प्रति पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि राम मंदिर निर्माण की अनुमति देने वाले फैसलों या तीन तलाक को आपराधिक बनाने वाले कानूनों के बावजूद उन्होंने कभी ऐसी हिंसा का सहारा नहीं लिया।

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