श्योपुर। कोई भी व्यक्ति जब अपने घर से बाहर निकलता है, तो सबसे पहले उसकी पहचान उसके राज्य, शहर, तहसील और गांव के नाम से होती है। अपने घर से बाहर हर कोई अपने गांव का नाम लेने में गर्व महसूस करता है। लेकिन, श्योपुर जिले में कुछ ऐसे भी अजब गजब नाम वाले गांव मौजूद है, जिनका नाम लेने में वहां के लोगो को गर्व महसूस नहीं होता, बल्कि शर्म महसूस होती है, इसलिए इन गांवों के नामों को बदलने की आवश्यकता जताई गई है। जिले के लोगों का कहना है कि जिस तरह अभी मप्र की डॉ मोहन यादव सरकार द्वारा मप्र के देवास जिले के गांवों के नामो के बदलने का फैसला लिया गया है, उसी तरह श्योपुर जिले के इन गांवों के नामों को बदलने का फैसला लिया जाना चाहिए। ताकि अपने गांव का नाम बताने में शर्म महसूस करने वाले इन गांव के लोगो को गर्व महसूस हो सके।
इन गांवों के नाम है अजब गजब
श्योपुर जिले के जिन गांवों के नाम अजब गजब है,उनमें विजयपुर विकासखंड क्षेत्र में गोबर, बंडपुरा, चकचांद खा, लीलदा, कतन्नीपुरा, दंगलीपुरा, टपरा, काउपुरा, ओछा, पटपरा, खूंटका, खाडी, सांड, आदि गांव शामिल है। वहीं श्योपुर विकासखंड क्षेत्र में मौजूद लूंड और साडाकापाडा गांव के नाम भी काफी अटपटे लगते है।
गांव या शहर का नाम बदलने की प्रक्रिया
जानकारो की माने तो किसी भी शहर, गांव, गली का नाम आप ऐसे ही नहीं बदल सकते. इसके लिए पूरी एक प्रक्रिया होती है, उसे फॉलो करना होता है. गृह मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार, किसी भी शहर, गांव या गली का नाम बदलने से पहले स्थानीय लोगों के भावनाओं का सम्मान करना होता है और फिर इस बात का ध्यान रखना होता है कि इससे लोगों की भावनाओं को कोई ठेस तो नहीं पहुंच रहा। गांव का नाम बदलने के लिए एक प्रस्ताव स्थानीय स्तर पर तैयार होता है, जो जिला प्रशासन के माध्यम से शासन के समक्ष पहुंचा है। फिर शासन कैबिनेट में इस प्रस्ताव को रखता है और फिर नाम बदलने के फैसले पर मुहर लगती है। जब कैबिनेट में प्रस्ताव पारित हो जाता है तो इसके बाद नए नाम का गजट पत्र कराया जाता है। और फिर उस नए नाम पर आधिकारिक मुहर लग जाती है।