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एक स्टेट ऑपेरा…हिन्दुस्तान के दिल का बर्थडे ! नाम है मध्य प्रदेश!

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डॉ. प्रकाश हिंदुस्तानी।

आज, 1 नवम्बर 2025 को देवउठनी एकादशी है।  मध्य प्रदेश का बर्थडे ! लेकिन जिस दिन मध्य प्रदेश का गठन हुआ था, उस दिन 1  नवम्बर 1956 को अमावस्या थी।

मध्य प्रदेश, पुराने मध्य प्रांत और बरार, मध्य भारत (ग्वालियर-चंबल), विंध्य प्रदेश और भोपाल रियासत जैसे चार अलग-अलग क्षेत्रों को मिलाकर बनाया गया।

सवाल  उठा कि राजधानी क्या हो?

4 शहर लाइन में थे — इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, भोपाल।

इंदौर (होल्कर स्टाइल) :

“हमारे पास कपड़ा मिलें, क्लॉथ मार्केट, सराफा, राजवाड़ा – सब कुछ है!”

रिजेक्ट। कारण : रेलवे लाइन कम थी। रेलवे कनेक्टिविटी अच्छी नहीं थी जो आज भी नहीं है।

ग्वालियर (सिंधिया स्टाइल) :

“हमारे पास किला, तानसेन और 500 साल का रॉयल स्वैग!”

रिजेक्ट। कारण: “अरे, इंदौर-ग्वालियर में पुरानी दुश्मनी है – दोनों को साथ रखेंगे तो रोज़ तलवारें चमकेंगी!”

जबलपुर (महाकौशल स्टाइल):

“हमारे पास है संस्कार, नर्मदा, बरगी और हाई कोर्ट!”

राज्य पुनर्गठन आयोग ने कहा: “ठीक है, तुम राजधानी बनो।”

लेकिन…

भोपाल (नवाबी अंदाज):

“हमारे पास तो पहले से पूरा सरकारी ऑफिस तैयार है – नवाब साहब ने बनवाया था!”

फाइनल डिसीजन : भोपाल जीत गया!

पहले 6-6 महीने इंदौर और ग्वालियर को ‘ट्रायल पीरियड’ दिया गया था – जैसे किराए का फ्लैट!

“जब ‘बेटा’ अलग हुआ”

1 नवंबर 2000।

MP : “मेरा बेटा बड़ा हो गया – नाम रखा छत्तीसगढ़!”

44% जमीन, 16 जिले – बेटा ले गया, सब चले गए।

MP: “अब मैं स्लिम-ट्रिम हो गया!”

अब MP के पास 55 जिले हैं – 1 नवम्बर  2000 को  45 थे।

यानी बेटा गया, पर पोते-पोतियाँ बढ़ गए!

“मध्य प्रदेश का स्वैग”

नाम नेहरू जी ने दिया : “ये तो हिन्दुस्तान का दिल है!”

पहला CM साइकिल से आया था, विगत CM (शिवराज) हेलीकॉप्टर से!

मध्यप्रदेश कोई राज्य नहीं – एक स्टेट ओपरा सीरीज़ है!

हर 10 साल में नया सीज़न, नया ट्विस्ट, नया हीरो!” अगला एपिसोड: 2028 का चुनाव!

तब तक – जय हिन्द, जय मध्य प्रदेश!

अब बातें करते हैं पहले मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल की। 

“साइकिल से विधानसभा, और नेहरू जी का हैरान होना!”

1956, भोपाल। नया राज्य, नया CM।

सुबह 8 बजे, विधानसभा के गेट पर साइकिल की घंटी बजती है – टिंग-टिंग!

पंडित रविशंकर शुक्ल जी उतरते हैं, धोती-कुर्ता, सिर पर गांधी टोपी, हाथ में फाइल। गार्ड: “सर, कार कहाँ है?”

शुक्ल जी: “कार? वो तो गाँव वालों के लिए है। मैं तो साइकिल से ही CM हूँ!”

प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी भोपाल आए। CM साब को प्रोटोकॉल वालों ने कार भेजी।

CM साब ने मना कर दिया: “मैं तो साइकिल से आऊँगा। तुम कार में आओ, मैं साइकिल में – देखते हैं कौन पहले पहुँचता है!”

नेहरू जी हँसे और साइकिल की फोटो अखबार में छपी – हेडलाइन : “MP का CM : कार नहीं, साइकिल का शौकीन!

“शादी का कार्ड और CM का जवाब” एक बार एक गाँव के व्यक्ति ने शुक्ल जी को शादी का कार्ड भेजा।

लिखा: “आप जरूर आएँ, बेटी की शादी है।” शुक्ल जी गाँव गए – साइकिल से!

लोग हैरान।

बारात में पहुँचे, दूल्हे के पिता को गले लगाया, और बोले: “मैं मुख्यमंत्री नहीं, मामा हूँ!”

लोगों ने कहा: “ये CM नहीं, सुपर मामा है!”

जिन लोगों को लगता है कि CM रहते मामा कहलाने की परंपरा शिवराज सिंह जी ने थी, वे सुधार कर लें।

“मुख्यमंत्री आवास में बकरी” 1956, भोपाल।

नया CM हाउस (शामला हिल्स) तैयार हुआ।

सबने कहा: “अब तो बड़ा बंगला, गार्ड, कुत्ते होंगे!” लेकिन…

सुबह 6 बजे, गेट पर एक बकरी चर रही है।

गार्ड: “ये कहाँ से आई?”

शुक्ल जी (हँसते हुए): “अरे, मेरी बकरी है!

दूध के लिए रखी है।

सरकारी गाय नहीं ला सकता था ना!”

लोगों ने बकरी का नाम रख दिया था “विधानसभा”!

कहते हैं, जब भी बकरी मिमियाती –

लोग कहते : “विधानसभा बुला रही है!”

“ट्रेन की थर्ड क्लास में और नेहरू जी का फोन”

CM साब को दिल्ली जाना था।

सैलून कोच बुक।

CM साब ने मना कर दिया। थर्ड क्लास में चढ़े – धोती-कुर्ता, टोपी, एक झोला।

सामने का यात्री: “अरे, तुम पंडित जी जैसे लगते हो!”

CM साब बोले : “हाँ, मैं पंडित ही हूँ – मध्य प्रदेश का पंडित!”

दिल्ली पहुँचे। नेहरू जी का फोन: “शुक्ल जी, आप थर्ड क्लास में?

मैंने सैलून भेजा था!”

शुक्ल जी : “पंडित जी, जनता तो थर्ड क्लास में है –

मैं पहली क्लास में कैसे बैठूँ?”

नेहरू जी चुप। अखबार में हेडलाइन:

“MP का CM: तीसरी क्लास का पहला नेता!”

“शादी में 1 रुपया नेग और दुल्हन के आँसू”

एक गाँव में शादी।

CM साब बिन बुलाए पहुँचे।

लोग हैरान: “अरे, CM साब!” नेग का लिफाफा माँगा।

अंदर डाला – 1 रुपया।

दुल्हन की माँ: “बस एक रुपया?” शुक्ल जी (मुस्कुराते हुए): “अरे बहन, एक रुपया मेहनत का है।

लाखों रुपये तो सरकारी खजाने के हैं।

मेरा अपना सिर्फ यही है।”

दुल्हन रो पड़ी – खुशी से।

बोली: “आज तक किसी ने दिल से रुपया नहीं दिया!”

“विधानसभा में चप्पल और स्पीकर का डर”

विधानसभा का सत्र। सभी नेता शानदार ड्रेस, चमचमाते जूते पहने।

CM साब आए – हवाई चप्पल में! स्पीकर साहब बोले : “सर, प्रोटोकॉल है – जूते पहनने का!” शुक्ल जी: “अरे, मेरे पैरों में जनता की धूल है।

स्पीकर चुप। सदन में तालियाँ!

उस दिन से “चप्पल प्रोटोकॉल” चल पड़ा,

कई विधायक चप्पल में आने लगे!

मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल केवल दो महीने, यानी केवल 61 दिन ही पद पर रहे। 1 नवम्बर 1956 को पद संभाला था और 31 दिसंबर 1956, निधन हो गया।

सबने कहा: “अब तो राजकीय सम्मान, तोपें, हेलिकॉप्टर!” लेकिन….

शुक्ल जी की साइकिल आगे-आगे थी।

पीछे हज़ारों लोगों का कारवां। – कोई कार नहीं। आखिरी इच्छा (उनके बेटे श्यामाचरण ने बताया था ) : “मेरी साइकिल को आगे रखना।

मैं CM नहीं, जनता का सेवक था।”

भीड़ में सन्नाटा।

एक बच्चे ने पूछा: “अंकल, CM साब की साइकिल क्यों रो रही है?”

1 नवम्बर 2025 (मध्य प्रदेश स्थापना दिवस)

 

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