भोपाल। मध्यप्रदेश में आग लगने से होने वाले नुकसान से बचने के लिये फायर एंड इमरजेंसी सर्विस एक्ट (कानून) लागू करने की तैयारी है। हालांकि अभी इसमें वक्त थोड़ा लग सकता है लेकिन सरकार ऐसे मामले में ठोस इंतजाम के मूड में हैं। नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग ने इसका फाइनल ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। दरअसल अभी किसी को शादी के लिए पंडाल लगाना है या किसी राजनीतिक दल को सभा करनी है या फिर कोई सामाजिक कार्यक्रम का आयोजन होता है तो इसमें न तो एहतिरयात बरते जाते हैं और न ही आवश्यक मंजूरी पर ध्यान दिया जाता है। लिहाजा अब आयोजकों को सबसे पहले फायर एनओसी लेनी पड़ेगी। उसी के बाद बाकी अनुमतियां दी जाएंगी। जो आयोजक इस नियम का पालन नहीं करेंगे, उन्हें 10 हजार रुपए का जुमार्ना और 3 महीने के कारावास की सजा होगी।
बताया जाता है कि पांच हजार वर्गफीट पर बने शैक्षणिक संस्थान, व्यवसायिक और व्यापारिक प्रतिष्ठान, औद्योगिक गोदामों के लिए भी एनओसी लेना जरूरी होगा। इस कानून के मसौदे को आगामी तीन जून को पचमढ़ी में होने वाली कैबिनेट मीटिंग में रखा जा सकता है। इसके बाद फायर एक्ट के बिल को विधानसभा के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। नया कानून बनने के बाद आम लोगों पर टैक्स का भार आएगा। नगर निगम और नगर पालिकाएं प्रॉपर्टी टैक्स के सरचार्ज के रूप में फायर टैक्स वसूलेंगे।
जानकारी के मुताबिक नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग का कमिश्नर ही फायर एंड इमरजेंसी सर्विस का कमिश्नर भी होगा। सरकार इसमें एक डायरेक्टर को भी नियुक्त करेगी। यह ऐसा अफसर होगा, जिसके पास अनुभव, जानकारी और इस क्षेत्र में अच्छे काम का रिकॉर्ड हो। सरकार आबादी, औद्योगिक क्षेत्र, बिजनेस सेंटर्स के हिसाब से नए फायर स्टेशन खोल सकेगी। पुलिस थानों की तरह ही हर फायर स्टेशन की सीमा तय रहेगी, ताकि आग लगने की घटनाओं के बाद तत्काल ही एक्शन लिया जा सके।