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साईलेंट किलर का काम करता है हाईबीपी

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एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के मार्गदर्शन में विश्व उच्च रक्तचाप दिवस के अवसर पर एक विशेष जनजागरूकता अभियान आयोजित किया गया। इस अवसर पर संस्थान के विशेषज्ञों ने युवाओं और आम नागरिकों को उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) के खतरे और इससे बचाव के उपायों की जानकारी दी।

बाल रोग विभाग के विशेषज्ञ डॉ. गिरीश भट्ट ने बताया कि बच्चों में उच्च रक्तचाप कई बार बिना लक्षणों के विकसित होता है और “साइलेंट किलर” के रूप में कार्य करता है। उन्होंने भोपाल में किए गए एक अध्ययन का हवाला देते हुए बताया कि 60 किशोरों में से 26.7% में एंड ऑर्गन डैमेज पाया गया, जो भविष्य में अचानक ऑर्गन फेलियर का कारण बन सकता है।

यह तथ्य न केवल बच्चों में बीपी की बढ़ती प्रवृत्ति को दर्शाता है, बल्कि समय पर पहचान और उपचार की आवश्यकता को भी उजागर करता है। वहीं, डीन (अकादमिक) डॉ. रजनीश जोशी ने एक आईसीएमआर सहयोगी अध्ययन का उल्लेख किया, जो भोपाल के 16 क्षेत्रों में किया गया था। अध्ययन में 30 वर्ष से अधिक उम्र के 5673 लोगों की जांच की गई, जिनमें से 26% लोगों को हाई बीपी की शिकायत पाई गई। हैरान करने वाली बात यह रही कि 3188 में से 170 व्यक्तियों को पहली बार एक साल के भीतर ही उच्च रक्तचाप हुआ। यह आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि यह बीमारी अब तेजी से युवाओं को अपनी चपेट में ले रही है।

इस अवसर पर प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने कहा, “उच्च रक्तचाप अब केवल बुजुर्गों तक सीमित नहीं है। आज यह युवाओं को भी तेजी से प्रभावित कर रहा है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है। जागरूकता, समय पर जांच और जीवनशैली में सुधार ही इससे बचाव के प्रभावी उपाय हैं। उच्च रक्तचाप दिवस का उद्देश्य नागरिकों को इस बीमारी के प्रति सचेत करना और उन्हें सक्रिय स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए प्रेरित करना है।” एम्स भोपाल के विशेषज्ञों ने इस मौके पर नागरिकों को यह संदेश दिया कि जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाना, नियमित रूप से ब्लड प्रेशर की जांच करवाना और समय पर उपचार लेना बेहद आवश्यक है। जागरूकता ही इस बीमारी से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है।

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