बैंकॉक। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी बिम्सटेक सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए थाईलैंड दौरे पर हैं। शुक्रवार को बैंकाक में पीएम मोदी ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के के साथ द्विपक्षीय बैठक की। दोनों नेताओं के बीच करीब 40 मिनट तक बैठक चली। इस दौरान पीएम ने मो. यूनुस को जहां बांग्लादेश के ‘नेशनल डे’ (26 मार्च) की बधाई दी। वहीं खूब खूब खरी-खरी सुनाई। बैठक में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी मौजूद रहे। बता दें कि पिछले वर्ष अगस्त में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के पतन और यूनुस के अंतरिम सरकार का प्रमुख बनने के बाद यह पीएम मोदी के साथ उनकी पहली बैठक थी।
पीएम मोदी की मोहम्मद यूनुस से मुलाकात को लेकर भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि ‘पीएम मोदी ने एक बार फिर लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समावेशी बांग्लादेश के प्रति समर्थन जताया। उन्होंने प्रोफेसर यूनुस के भारत के साथ सकारात्मक संबंधों की इच्छा को भी रेखांकित किया। प्रधानमंत्री ने अपील की कि माहौल खराब करने वाली बयानबाजी से बचा जाए। सीमा पर सख्ती से अवैध घुसपैठ को रोका जा सकता है और सीमा सुरक्षा को कायम रखा जा सकता है।
अल्पसंख्यकों के धार्मिक उत्पीड़न पर पीएम ने जताई चिंता
मिसरी ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि भारतीय प्रधानमंत्री ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के धार्मिक उत्पीड़न पर चिंता भी जताई। बता दें कि बांग्लादेश 26 मार्च को ‘नेशनल डे’ के रूप में मनाता है, क्योंकि इसी दिन 1971 में वह पाकिस्तान से आजाद होकर अलग मुल्क बना था। विक्रम मिसरी ने यह भी पुष्टि की कि बांग्लादेशी पक्ष द्वारा शेख हसीना का मुद्दा उठाया गया। उन्होंने कहा कि इस समय इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं है।
यूनुस ने पीएम से मिलने का किया था आग्रह
यह बैठक ऐसे समय हुई है जब मोहम्मद यूनुस द्वारा अपने हालिया चीन दौरे पर भारत के पूर्वोत्तरी राज्यों को लेकर दिए गए एक बयान से विवाद पैदा हो गया था। उन्होंने बीजिंग में कहा था कि भारत के पूर्वोत्तरी राज्य, जिन्हें ‘सेवेन सिस्टर्स’ कहा जाता है, लैंडलॉक्ड (चारों ओर से स्थल से घिरा हुआ) हैं और बांग्लादेश इस पूरे क्षेत्र में समुद्र का एक मात्र गार्डियन है। खास बात यह है कि दोनों नेताओं के बीच यह बैठक मो। यूनुस के आग्रह पर हुई है और
चीन में यह बोलकर घिर गए थे यूनुस
दरअसल मोहम्मद यूनुस ने पिछले सप्ताह चीन की यात्रा के दौरान बांग्लादेश को इस क्षेत्र में ‘समुंदर का एकमात्र संरक्षक’ बताया था। साथ ही चीन की सरकार से बांग्लादेश में निवेश बढ़ाने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि भारत के उत्तर पूर्वी राज्य चारों तरफ जमीन से घिरे हैं और उनके पास समुद्र तक पहुंच नहीं है। ऐसे में ये चीन के लिए अवसर हो सकता है। मोहम्मद यूनुस ने कहा कि क्षेत्र में बांग्लादेश ही ऐसी ताकत है, जिसके पास समुद्री पहुंच है। हालांकि मोहम्मद यूनुस का यह बयान भारत को नाराज कर गया और इसे लेकर आधिकारिक चैनल से भारत ने नाराजगी भी जाहिर की है। भारत की नाराजगी के बीच ढाका ने नुकसान की भरपाई के लिए नई दिल्ली से संपर्क किया और यूनुस और पीएम मोदी के बीच बिम्सटेक समिट के दौरान बैठक का अनुरोध किया था।
विवादों में रहा है मोहम्मद यूनुस का कार्यकाल
बता दें कि बीते साल अगस्त में बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था। उसके बाद से मोहम्मद यूनुस ही बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। हालांकि मोहम्मद यूनुस का कार्यकाल विवादों में घिरा रहा है और उनके कार्यकाल में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों खासकर हिंदुओं पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ीं। इसके चलते भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में भी खटास आई है। बीते हफ्ते ही चीन के दौरे पर मोहम्मद यूनुस ने भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों को लेकर विवादित बयान दिया था, जिसके बाद दोनों देशों के रिश्तों में और तल्खी आई है।