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पंचायत सचिवों ने दिया सामूहिक अवकाश का अल्टीमेटम, विरोध प्रदर्शन की चेतावनी

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मध्यप्रदेश के 23,000 पंचायत सचिव सामूहिक अवकाश पर जाएंगे। अगर सरकार ने उनकी तरफ ध्यान नहीं दिया और उनकी मांगें नहीं मानी तो वे अब सड़क पर उतरेंगे।

इसका कारण है उन्हें तीन से चार महीने से वेतन नहीं मिला है। इससे नाराज होकर अब पंचायत सचिव विरोध प्रदर्शन करने के लिए सड़कों पर उतरेंगे। पंचायत सचिव संगठन ने सरकार को 25 मार्च तक उनकी मांगों को पूरा करने का अल्टीमेटम दिया है। अगर मांगें पूरी नहीं हुईं तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।

मध्य प्रदेश के पंचायत सचिव अब अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ आवाज उठाएंगे। लगभग 23,000 पंचायत सचिव 26 मार्च से 1 अप्रैल तक सामूहिक अवकाश पर रहेंगे। इसका मतलब है कि वे इन दिनों में काम नहीं करेंगे। उनकी नाराजगी की वजह यह है कि उन्हें पिछले तीन-चार महीनों से वेतन नहीं मिला है।

52 जिला मुख्यालय होंगे प्रभावित

पंचायत सचिव संगठन के अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने कहा कि वे अपनी 7 सूत्री मांगों को लेकर सभी 313 ब्लॉक और 52 जिला मुख्यालयों में कलेक्टरों को ज्ञापन सौंपेंगे। वे सरकार को बताएंगे कि अगर 25 मार्च तक उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो वे 26 मार्च से सामूहिक अवकाश पर चले जाएंगे।

दिनेश शर्मा ने यह भी कहा कि फिलहाल उन्होंने 7 दिनों के लिए सामूहिक अवकाश का फैसला किया है। अगर सरकार ने इस दौरान भी उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो वे हड़ताल को आगे बढ़ा देंगे। उन्होंने साफ़ कहा कि वे अपनी मांगें पूरी होने तक अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे।

पंचायत सचिवों की मांगें

हर महीने की 1 तारीख को वेतन मिलना चाहिए। अभी उन्हें तीन से चार महीने तक वेतन नहीं मिल रहा है।

मुख्यमंत्री ने जो समयमान वेतनमान देने की घोषणा की थी, उसका लाभ उन्हें 20 महीने बाद भी नहीं मिला है। यह लाभ उन्हें तुरंत मिलना चाहिए।

उन्हें सरकारी कर्मचारियों की तरह सभी सुविधाएं मिलनी चाहिए।

प्रदेश की 313 जनपदों में से 50% में वेतन के लिए हमेशा दिक्कत होती है। इसलिए बजट में अलग से प्रावधान किया जाना चाहिए।

सचिवों के पांचवें और छठवें वेतनमान में सेवा काल की गणना नियुक्ति की तारीख से होनी चाहिए।

अनुकंपा नियुक्ति के जो मामले बचे हैं, उनमें पिछड़ा वर्ग और वंचित लोगों को 100% नियुक्तियां मिलनी चाहिए।

विभाग में संविलियन की मांग पूरी होनी चाहिए।

पंचायत सचिवों का कहना है कि वे अपनी मांगों को लेकर सरकार से कई बार बात कर चुके हैं, लेकिन सरकार ने उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया है। इसलिए वे अब सामूहिक अवकाश पर जाने और हड़ताल करने के लिए मजबूर हैं।

 

 

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